QUOTES ON #SAMAJIK

#samajik quotes

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3 OCT 2020 AT 22:19

।বাস্তব পরিস্থিতি।

দুদিন ধরে ফেসবুক, টিভি সব জায়গায় একই কথা:

" রাস্তার পাশে ধর্ষিত এক দগ্ধ লাশ
ধর্ষকের হোক সর্বনাশ।।"

একি শুরু হয়েছে চতুর্দিকে
আর কত মরতে হবে নির্ভয়া কিংবা মনীষাকে,
এ কোন সভ্য সমাজের পরিকাঠামো
যেখানে বিচার চেয়েও পায়না সুবিচার কোনো।
হে পাপী, পাষন্ড পুরুষ আর কত নিচে নামবি,
তোর গর্বের, উত্থিত পুরুষচিহ্ন নিয়ে আর কবে শুধরাবি।
একেই মহামারীর মৃত্যূমিছিল চলছে বিশ্বজুড়ে,
ধ্বংসের- হাতছানি আসছে কি তবে? এই ভুবন-মাঝারে!
শুধু মোমবাতি জ্বালিয়ে ঘুচবে না এই পাশবিক বর্বরতা,
দেশজুড়ে হোক ধিক্কার আর এনকাউন্টারের কঠোরতা।
বুকের ভেতর আড়মোড়া ভাঙুক যত্ন করে,
শুরু হোক এক নতুন আইন আরোহনের।।

✍🏻 সীমা দে

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11 AUG 2017 AT 10:50

और इसीलिए आज केवल 9pmPoetry को छोड़कर मैं रात 12 बजे तक सामाजिक सरोकारों की कविताएं लगाउँगा। वे कवितायें जो नक्सलवाद की पवित्र आग को अपने गर्भ में पालते हुए आगे बढ़ी किन्तु नक्सलवाद के पथभ्रष्ट होने पर अपनी ही आग को कोसते हुए इसपर पानी की बौछार सी गिरी। यही होता है असली लेखक जो सदा निष्पक्ष रहता है और समय पड़ने पर अपने ही विचारों के विरुद्ध खड़ा हो सकता है।

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18 APR 2021 AT 22:15


"શરત"

મેઘાને જોવા આવેલા મહેમાનો ને આંગણામાં જ શુભ્રાનો ભેટો થઈ ગયો.
એ ઊંચી, રૂપાળી ને એના મુખ પરનુ તેજ અને એનું મનમોહક સ્મિત એની માંજરી આંખોની ચમક અને સુંદર દેહ પર ખાખી વર્દી એના વ્યક્તિત્વને ઓર આકર્ષક બનાવતી હતી.

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31 JUL 2021 AT 22:15

किताबों में न ज़िक्र उसका जो पाठ
जिंदगी ने सिखाया
ना पता लगा पुलवामा में वो ट्रक
कहाँ से आया

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11 SEP 2019 AT 22:07

देख जरा रूह की खुशबू
हर तरफ धुंआ ही धुंआ
चूड़ियों की खनखनाहट में
राज दफन है सदियों का.....

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8 OCT 2020 AT 20:35

सामाजिक विषयों पर अपनी बात बेबाकी से रखने वाला इंसान अक्सर लोगों के निजी जीवन के बारे में कुछ ऐसा बोल जाता है,

जो ना सिर्फ सम्बंधित व्यक्ति को प्रभावित करता है, बल्कि उसके खुद के जीवन को भी भविष्यकाल तक के लिये खत्म कर देता है, और समाज को भी अपने प्रतिनिधि के बारे में एक अविश्वास से भर देता है।

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21 JUN 2020 AT 4:39

जला दी जाती हैं ससुराल में अक्सर वहीं बेटी,
जिसकी खातिर बाप किडनी बेच देता है।

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26 DEC 2019 AT 13:57

लम्हें सुकून और फुर्सत के थे तुम्हारे संग दोस्तों
जब से ज़िंदगी का साथ पकड़ा है उलझ गया हूँ मैं

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29 APR 2020 AT 16:12




नारी हूँ मैं,खुद में ही सम्पूर्ण हूँ मैं

{Plz Read Caption}


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30 JAN 2020 AT 16:24

कोई उसको बुलाता है कोई इसको बुलाता है
यहाँ मंचो का इक दूजे से बस ऐसा ही नाता है
बनी है लेने देने की जो व्यवस्था ज़माने में
यही नाता हरिक बंदे को प्यारे खूब भाता है।।

संगीता गोयल

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