इंसानियत ने कहा क्यू मेरी फिक्र करते हो
अपने अल्फाज़ो में क्यू मेरा ज़िक्र करते हो
जीवित को ना खाना, मरो के श्राद्ध करते हो
क्यों लिखे मेरे शब्दों पर तुम विवाद करते हो
देश का बंटवारा कराने वाले नोटों पर छप गए
सुशांत को इंसाफ दिलाने वाले अभ क्यों थक गए
बच जाता सलमान अगर होता ना वो खान
ना मंदिर ना मस्जिद
मेरी जन्मभूमि पर बनाना बेघरों के मकान
कई शायर है मुझसे बेहतर
कोई क्यों मुझे फिर याद करे
पर भुला ना पाएंगे वो उसे
जो शायर दिल की बात करे
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