जो नसीब में लिखा नहीं वो मिल भी कैसे जाएगा
जो लकीरें तुझसे कह रही उतना ही तो तू पाएगा
कर सब्र कर मेहनत यहाँ और डोर ऊपर छोड़ दे
जो भी मिलना तेरे हक़ का है वो दौड़ा दौड़ा आएगा.
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Delhi, Noida
13/9/17 20:53 joined Yourqoute.
Bahut se mancho pr kavi... read more
क्यूँ है ख़ामोशियाँ इतनी के सिसकियाँ बोली
है नही नींद आँखों में ये थपकियाँ बोली
सकूं आता नहीं है चाँद और इन तारों को
कोई लेता नहीं खबर भी चिठ्ठियाँ बोली..
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ज़ख्म देने लगे जब सदा जिंदगी
उम्र भर दर्द रिसता रहा जिंदगी
हमने सोचा बहुत कुछ कहेंगे नहीं
तुझसे रिश्ता ये कैसा बना जिंदगी..-
बीते दिनों के कुछ कुछ लम्हें याद है
दिखती छिपती सी परछाइयाँ साथ है
इक हँसी के पीछे कितने तुफान रख
कतरा कतरा यादों से आबाद है..
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कोई नफरत में पलता है कोई नफरत मिटाता है
किसी की सोच जैसी हो उसे वो ही तो भाता है
यहाँ पर है बहुत सारे जख्म दूजे को जो देते
भरी इंसानियत जिसमे वही मरहम लगाता है..
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किसी को सुनना आता है किसी को कहना आता है
कोई प्रतिशोध लेता है किसी को चुप रहना आता है
ये दुनिया चल रही है अपनी अपनी सोच को पकड़े
कोई डर से हुआ जकड़ा किसी को बहना आता है..
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कोई याद जब दस्तक देने आती है
कई किस्से पुराने फिर से दिखाती है
वक्त की दौड़ में जब सब पीछे रह जाए
यही तो है जो साथ हमेशा निभाती है...-
ना कोई शिकवा ना कोई सवाल हुआ
होंठों पर थी चुप्पी फिर भी बवाल हुआ..
वो चला ऐसे कि फिर कहीं दिखा ही नहीं
वो जुदा हुआ कि दिल को भी मलाल हुआ..
क्यूँ अलविदा कहने की जरूरत नहीं समझी
क्यूँ इंतजार इस दिल को सालो साल हुआ..
पानी ही था भर आया था आँखों में
उसके बगैर जीना भी है मुहाल हुआ....-
घट घट पावन गंगाजल सा
प्रेम लगे मरुथल शीतल सा
कह्ते सभी प्रेम पूजा है
अति अनूठा इक आंचल सा...
नयनो में है काजल जैसा
श्वेत रूप बादल के जैसा
बूंद बूंद ये भरता जाए
प्रेम सुधा के छागल जैसा...
SG-
गैर कानूनी अतिक्रमण का फैल गया है जाल
दूजे के घर कब्जा करे, करते खूब बवाल
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