मैं बनाऊ चित्र तुम्हारा
तुम चरित्र मेरा बना दो साई
मैं रोज़ तुम्हे सजाऊ
तुम जीवन मेरा सजादो साई
🙏-
आज... !
बस आज संवर जाओ...
बीता हुआ कल और
आता हुआ कल
अपने आप ही निखरेगा....!-
"दुःख अपने दिल में समेटी है,
वो साईं आपकी बेटी है।
वो माँ के बिना उदास है,
माँ उसकी अब आपके पास है।
माँ के आंचल से वंचित है,
संबल से आपके संचित है।
मासूम है वो, दिल से सच्ची,
साईं वो है तेरी बच्ची।
वो दीपक तुम्हें जलाती है,
नम नयन से तुम्हें बुलाती है।
करती है प्यार गुलाब से,
हर आस है उसकी आप से।
नहीं कहती किसी से मन की बात,
बस चाँद से कहती, जो आए रात।
जीवन है उसका आपके हाथ,
साईं रहना सदा उसके साथ।
आँसू से आँख ना उसकी नम हो,
खुशियाँ ही मिले, ना कोई ग़म हो।
जीवन उसका तुम सुरभित करना,
बस खुशियाँ ही झोली में भरना।
करती है वो आपकी भक्ति,
बनकर रहना उसकी शक्ति।
साईं उसके जीवन को लेकर,
मुझे सिर्फ़ भरोसा है तुम पर।
रखना उस पर रहम नज़र,
उसे लगे ना बुरी नज़र।
महके सुमन सा उसका जीवन,
हर पल महके बनकर मधुबन।
ख़ुश रहे सदा वो , यही मेरी मर्ज़ी,
है साईं आपसे यही एक अर्ज़ी।"-
Musibat unse banake rakhti hai doori,
Jo rakhte hai Shradha aur Saburi...
Dukh dard bhi unke nazdeek nahi ate,
Jo hai SAI baba ke kareeb ho jate...
Kabhi nahi chodte SAI baba unka sath,
Jo karte hai unko sache maan se yaad...
Jaan lete ho bina kahe hi mere dil ki baat,
Ek maa ki tarah rakhte ho apne bacho ka khyal...
Om Sai Ram-
सारी योगविद्या, धर्म, संप्रदाय और ध्यान पद्धति अंतिम दौर पे 'श्रद्धा और सबूरी' के पास आकर ही खड़ी हो जाती है, सिर्फ फर्क इतना है कि कोई घटित करता है, तो किसीसे घटित होता है। यह दोनों को पार किए बिना उस साक्षात इश्वर (साईं) तक पहुचना असंभव है। ( दुसरा कोई दरवाजा ही नही)
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कुछ यूं तेरी इबादत में सिर मेरा झुकता हैं
कुछ यूं तेरा नाम लेकर हर पल मेरा काटता हैं
कुछ यूं तेरी मुहोब्बत में इंसानियत हम निभाते हैं
कुछ यूं तुझे याद करके हम ख़ुशी से मुस्कुराते हैं
मेरे साईं तूही सच्चे मन से मेरा अपना हैं
तेरी सच्ची मुहोब्बत का रंग हर रिश्ते में बसता हैं
तेरे होने से ही मन में विश्वास रहता हैं
तेरे साथ ही तो श्रध्दा और सबूरी मुझे सिखाता हैं-
Shraddha aur Saburi
Enjoying imperfections
Facing the situations
Taking actions n execute
Smile with believe
Life is all about making it perfect-
मानसिक दरिद्रता ,
सद्विचारों के प्रति श्रद्धा से
तथा आर्थिक विपन्नता ,
सबूरी (patience ) से दूर होती हैं ।-
तेरे रहम-ओ-करम का बखान क्या करूँ अब..
बस इतना कहूँगी कि मेरे लिए रेगिस्तान में बारिश की पहली बूँद से हो तुम!!-