Ratan Kumar Shrivastava  
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मेरे अंतर्मन से ,
निकली बातें जो छन के ।
कुछ बातें उन अपनों की ,
कुछ उनके अपनेपन के ।।
Joined 10 February 2018


मेरे अंतर्मन से ,
निकली बातें जो छन के ।
कुछ बातें उन अपनों की ,
कुछ उनके अपनेपन के ।।
Joined 10 February 2018

जब बाह्य परिधि से हटाकर अंतःपरिधि में हम अपनी जीवनधारा को केन्द्रित करते हैं तब हमें अपने अन्दर की कलुषता दिखने लगती है। तब हम अपनी बुराइयों के प्रति कठोर तथा दूसरों की अच्छाइयों के प्रति मधुर होना शुरू करते हैं।
आत्मज्ञान कहीं बाहर से नहीं, हमारे अकेलेपन से आता है।

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मेरा जो बीत गया कब आएगा,
मेरा जो बीत रहा अब जायेगा,
माना कल नया फसाना आयेगा,
पर, मेरा भी जमाना आएगा।।

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17 FEB AT 23:35

केवल जंग में विजय से कोई शूर नहीं होता,
केवल अध्ययन से कोई पण्डित नहीं होता,
केवल वाक्चातुर्य से कोई वक्ता नही होता,
केवल धन देने से कोई दाता नहीं होता।
बल्कि,
इंद्रियों पर नियंत्रण रखने से इन्सान शूर बनता है,
धर्माचरण से इन्सान पण्डित बनता है,
हितकारक बात समझा सके ऐसा व्यक्ति वक्ता बनता है,
सम्मान पूर्वक दान देने से इन्सान दाता बनता है।

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11 FEB AT 23:53

मंजिल को पाकर जिया,
या मंजिल को भुलाकर जिया।
किसे किसे फर्क पड़ेगा कि,
तूने क्या किया।
मंजिल को भुलाकर जिया,
तो क्या जिया,
मंजिल पार जाने पर दिखेगा कि,
तूने क्या क्या किया।।

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जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो अभय देती हैं, जो मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर कर बुद्धि प्रदान करती हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूँ।
संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर करने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।।

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क्षितिज पर आया नया सवेरा,
आशाओं ने फिर से पंख बिखेरा।
हो हर उड़ान में नया सृजन,
हो हर क्षण में अभिनव जतन।
हो हर दिल में नूतन स्पंदन,
नववर्ष 2025 तेरा अभिनंदन।।

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4 DEC 2024 AT 0:03

सामने जब आईना नहीं हो,
तब तुम अपना रूप कहां देखोगे?
हृदय के दर्पण पर भी धूल जमी हो,
तब तुम अब और कहां निहारोगे?
सोचो, अब कहां कहां तुम झांकोगे ?
निरखना फिर भी बाकी है सोचो,
अब कहां कहां तुम ताकोगे ??
“वन्दऊं गुरु पद पदुम परागा,
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा” ।।

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1 DEC 2024 AT 19:51

समय को इस तरह से मत काटो,
कि तुम्हारे पास समय बहुत ज्यादा है।
बल्कि समय को इस तरह से बांटो,
कि तुम्हारे पास बचा अब आधा है।।

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20 NOV 2024 AT 0:13

यह राम नाम की शक्ति थी,
या रामनाम में रमे शिव की भक्ति थी !
कि, कालकूट जहर भी,
शिवजी को अमृत का फल दिया !!

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16 NOV 2024 AT 8:09

जिस पर चंद्रमा की कृपा हो, वह मनस्वी होता है।
जिस पर सूर्य की कृपा हो, वह तेजस्वी होता है।
जिस पर मंगल की कृपा हो, वह ओजस्वी होता है।
पर, जिस पर प्रभु की कृपा हो, वह यशस्वी होता है।।

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