Kirit Diyora   (IV)
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Joined 20 January 2018


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25 APR AT 9:42

निर्विचार स्थिति वह गड्ढा है,
जिसमें परमात्मा की ऊर्जा
स्वयं भरने लगती है, जो
आज तक हमने विचार
करके नहीं भर पाये।

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19 APR AT 9:05

धैर्य के बीज से ही ध्यान का फुल खिल शकता है।

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14 MAR AT 12:46

જયારે દિમાગ હૃદય થી આગળ જતું રહે,
ત્યારે ભૂલો શરૂ થાય અને જયારે હૃદય દિમાગ
થી આગળ નીકળી જાય ત્યારે કરેલી ભૂલો દેખાય.

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10 MAR AT 19:47

विद्यालय की परीक्षाओ में शिक्षक ने पढ़ाया
हुया ही काम आता है, स्वयं शिक्षक नही,
बिल्कुल वैसे ही जीवन की अंधकार की
परीक्षाओ में गुरु से प्राप्त ज्ञान और अनुभव
ही काम आते है, स्वयं गुरु भी नही।

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17 JAN AT 10:26

आत्मसाक्षात्कारी सदगुरु अपने शिष्य की
आत्मा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जब तक
वह साधक आत्मनिर्भर नहीं हो जाता।

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20 DEC 2023 AT 21:48

"में" हार गया,
और "वो" जीत गया
"में" को हारना ही चाहिए,
ताकि "वो" जीत सके।

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27 AUG 2023 AT 10:29

तनाव ग्रस्त व्यक्ति को ये भी पता नही होता
कि वो तनाव में है, नशे में धुत व्यक्ति को
ये भी पता नही होता कि वो नशे में है,
वो भी होश में ही पता चलता है,
सोए हुए व्यक्ति को ये भी पता नही होता
कि वो नींद में है, वो भी जागने के बाद
ही पता चलता है। सब लोग सोए हुए लोग है।

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24 AUG 2023 AT 23:11

योग बुद्धि से ह्रदय,
और हृदय (चित्त) से भी
आगे की यात्रा है।

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25 MAY 2023 AT 23:22

सत्य ने कई जुठो का भी मान रखा,
और अपने प्रगट होंने का इंतजार किया।

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25 MAY 2023 AT 23:04

सत्य का अपना एक अनुशासन होता है, एक खास ऊर्जा होती है, इसलिए एसे ही किसी के सामने दोहराया नही गया।

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