इश्क़ इनायत है गर खुदा की,
तो वफ़ा उसकी एक सौगात है।
रगों में दौड़ने लगे गर बेवफ़ाई की लत,
तो ज़मीर को टटोल और पूछ क्या बात है।
हम उम्मीद करते है,जवाब तुम्हे मुनासिब मिलेगा,
हर क़दम पर वो खुदा बनकर रहबर-ए-कामिल मिलेगा।
अश्कों को संभाले रखो वरना दर्द के ओट में इश्क़ बहेगा,
ज़िस्म हो भी जाए गर बेजान लेकिन ये धड़कन तो चलेगा।— % &
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