मौसम बचपन के
जब फिकर न थी कल की,
और चैन से सोया करते थे।
हर सुबह खिलखिलाती थी
हम सुकून से जीया करते थे।
मां के हाथों से खाया करते थे,
कद ना था उतना पापा के कंधो पर मेला घुमा करते थे।
खेल-खेल कर थक जाते मां के गोद में सो जाया करते थे,
जब दादी और नानी रोज किस्से सुनाया करते थे।
बस नाम की दोस्ती ना थी वो,
हर शाम साथ बिताया करते थे।
इस आधुनिक ज़िंदगी से परे दिन थे,
वो मौसम बचपन के हुआ करते थे।
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