Atish yadavanshi   (आतिश)
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Peace🤍
Joined 31 December 2018


Peace🤍
Joined 31 December 2018
30 NOV 2023 AT 0:58


एक दोस्त बनाने में मुझे ज़माने निकल गये,
अरसो बाद इश्क हुआ किसी से तो वो बेगाने निकल गये।
इज़हार करने की कोशिश की तो लबो से सिर्फ बहाने निकल गए,
मैं खड़ा रह गया उसी मोड़ पर इंतजार करते हुए और सब मुझे छोड़ आगे निकल गये।

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19 NOV 2023 AT 16:03

Simplicity is the new complex

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28 MAR 2023 AT 0:24

मौसम बचपन के

जब फिकर न थी कल की,
और चैन से सोया करते थे।
हर सुबह खिलखिलाती थी
हम सुकून से जीया करते थे।
मां के हाथों से खाया करते थे,
कद ना था उतना पापा के कंधो पर मेला घुमा करते थे।
खेल-खेल कर थक जाते मां के गोद में सो जाया करते थे,
जब दादी और नानी रोज किस्से सुनाया करते थे।
बस नाम की दोस्ती ना थी वो,
हर शाम साथ बिताया करते थे।
इस आधुनिक ज़िंदगी से परे दिन थे,
वो मौसम बचपन के हुआ करते थे।

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25 JAN 2023 AT 22:09

वक्त के साथ तु कितना दूर हो गया है
कल तक पास था मेरे आज न जाने कहा खो गया है
साथ में जो आशियाना बनाया था हमने
तेरे गैरहाजिरी में चूर-चूर हो गया है ।

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2 DEC 2022 AT 9:10

people will forget your thousand good deeds,
But, they will keep reminding you of your one mistake for the next thousand days.

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15 NOV 2022 AT 23:29

अंजाने मोड़ पर एक अंजान मिला,
मुलाकात हुए और दोस्त बन गए।
चलता रहा वक्त, दोनो यारी की मिसाल बन गए
एक दूसरे की पहचान बन गए
वक्त ने उसी मोड़ पर फिर ला खड़ा कर दिया
जहां अंजान थे और अंजान बन गए।

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4 JUL 2022 AT 15:25

दिल में छुपा के गम खुशी की दास्तां सुनाते हैं,
भूल चूके है तुझको ये हर रोज खुद को याद दिलाते हैं।

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29 APR 2022 AT 11:09

छिपा लो तो ख्वाइश कहते है,
बता दो तो नुमाइश कहते है,
अपने ज़ज़्बातों को नहीं बताता फिरता हु
शायद इसलिए लोग उसे साजिस कहते है।

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19 FEB 2022 AT 20:12

TRUST AND UNDERSTANDING— % &

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16 FEB 2022 AT 23:50

कैसा हो गया हु मैं।
रहता हूं लोगो के बीच फिर भी अकेला हो गया हूं।
अपनी मंजिल के रास्ते ढुंढते हुए न जाने कहाँ खो गया मैं।
ना जाने ऐसा क्यों हो गया हूं मैं।
समझ की सीढ़ी चढ़ते अचानक थम गया हु मैं
नहीं बनना है मुझे ये जो बन गया हु मैं। — % &

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