यू ख्वाहिशों की बारिशों में ना भीगा मुझे,
चल चाय बन जा और पिला मुझे ।
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बात गर वतन की है तो सिर्फ यही पहचान है,
लहू के एक - एक कतरे में हिन्दुस्तान है ।-
एक बेदर्द डगर,
एक वीरान शहर,
ऊपर से तेरा कहर,
मेरे रहगुजर,
तड़पता पहर,
तेरे हाथो से ज़हर,
तेरे बाहों में ढहर,
मौत का मेहर,
सबसे हसीन सफ़र,
सबसे मुतमइन गुजर ।
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मैंने सबसे खूबसूरत लिबास देखा है,
साड़ी लपेटे गुलाब देखा है,
काजल लगाए शबाब देखा है,
होठो पे टपकाए शराब देखा है,
नज़ाकत बेहिसाब देखा है,
रह रह कर ख्वाब देखा है ।
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बादल जैसे बालों वाली,
खुसबू जैसी सांसों वाली,
साड़ी में सावन को लपेटे,
बारिश जैसे ख्वाबों वाली,
भीगे भीगे होठ तुम्हारे,
रिम झिम रिम झीम गालो वाली,
झरने जैसा कमर तुम्हारा,
हिरनी जैसी गर्दन वाली,
काजल के बारे में सोचु,
तो आंखो में खो जाता हूं,
तुम्हे देखने की खातिर मै,
सपनो में भी सो जाता हूं ।
लहरों जैसी सोच तुम्हारी,
आफत लिए अदाओं वाली,
आज़ादी हाथो में समेटे,
पगली जैसी हसने वाली,
उंगली जैसी चाह तुम्हारी,
छोटे छोटे नखरों वाली,
बच्चो जैसा ख्याल तुम्हारा,
मैडम जैसी गुस्से वाली,
तुमको खोना मन में आए,
रूह से अपने लड़ जाता हूं,
तुम्हे देखने की खातिर मै,
सपनो में भी सो जाता हूं ।
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यू चांद को समेटकर खुद चांद ना हो जाओ,
लोग तुम्हे देखने लगे तो उनकी आंखे फोड़ दूंगा ।
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खामखां पहनने चला था मोहब्बत का नया sweater,
समझ की तुरपाई और रिश्तों में गर्माहट परखा ही नहीं ।
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ज़ख्म दिया करो तो थोड़ा गहरा दिया करो
ज़िन्दगी के आखिरी पड़ाव तक, तुम्हारा कुछ तो साथ हो।
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हे! अवध नंदन , हम अवधवासी आपके आगमन का आंखे बिछाकर अभिनन्दन करते हैं। इस दीपावली आपकी असीम कृपा, अलौकिक दृष्ट, और अतुलनीय प्रेम से आर्यावर्त के अनुयायियों का जीवन ऋद्धि सिद्धि से अभिभूत हो।
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