हर नज़्ज़ारा डूब रहा है,
आँखों में इतना पानी है,
मौत ही केवल सच्चाई है,
ये जीना नौहा-ख़्वानी है,
जाने वालों ने ज़िद कर के,
बात न कोई भी मानी है,
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उसे उसकी अदाकारी का क्या इनाम दूँ l
सुनसान सन्नाटा है, आँखें रों रही हैं
तुम्हें पसंद आया ना.. बोलो अब उसे कौन-सा ? किरदार दूँ l-
अभी ये वक़्त नहीं था तुम्हारे जाने का
अभी ये वक़्त नहीं था तुम्हें हमें ऐसे रूलाने का |
हम जानते तो थे कि चल रही थी मौत से तुम्हारी लड़ाई
पर तुम्हारी सलामती के लिए
दुआ से ख़ुदा की नींद भी तो हमने थी उड़ाई |
लोग कहते तो हैं कि जो आता हैं - वो जाता भी हैं
पर उन्हें कोई हक नहीं ये कहने का
कि इरफ़ान अब कहीं नज़र आता नही |
इस फिल्मी दुनिया में सितारे तो हज़ारों हैं
मगर चांद को तो तेरे सिवा किसी और में हम पाते ही नहीं |-
मृत्यु सत्य है और शरीर नश्वर हैं
यह जानते हुए भी अपनों के जाने का दुःख होता हैं
हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि
दिवंगत आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करें
दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. इस दुःख भरे समय में
ईश्वर खान परिवार और कपूर परिवार को शक्ति और साहस दे🙏🙏🙏 RIP🙏🙏🙏😔😔😔-
जिस्म हो चाहे सुपुर्द-ए-खाक लेकिन,
युग-युग तक शख्सियत मरती नही।
कला की तालीम है कुछ ऐसी,
कलाकार है वो,जो कभी मरता नही।-
अलग-अलग किरदारों में जीने का मौका
कहां सभी को मिलता है,
किसी के पास थोड़ा है,
किसी को थोड़ा मिलता है,
जी भर गया या जी भर जी लिया उसने,
क्यूं इतनी जल्दी अलविदा कह दिया उसने,
सबका चहेता चला गया, दुःख इस बात का है, बहुत लेकिन, थोड़ा इसमें थोड़ा उसमें
वो अलग-अलग किरदारों में पूरा-पूरा जिंदा है!!-
देश में दो दिन में दो बड़े मौत,
एक हिन्दू और दूसरा मुस्लिम था।
हिन्दू को गोमांस पसन्द था और
मुस्लिम को कतल के दर्द का ईलम था।🙂-
अपनी संज़ीदा अदाकारी निभाते हुए
कभी हंसाते हुए, तो कभी रुलाते हुए,
जो उस किरदार की कहानी ख़त्म हुई
मैं रो पड़ा हंस के तालीयां बजाते हुए !!-
एक आख़िर अदाकारी ये उसकी
और सबको अपना फिर, वो क़ायल कर गया
जहाँ शहर के शहर थे बंदिशों में पड़े
वहाँ खुदको मुकम्मल देखो,' वो ' रिहा कर गया ।-
Hn badal gae hai ham shak nahi hai kisi baat ka..
Ab toh Zindagi ka hi bharosa nahi h yaaro..
Toh insaan kaise de sakega saath umar bhar ke pyar ka...-