Jis ravn ne sita maa ko hath tk nhi lgaya aj sb log usko milkr jlate h..
Hr roj jo rape hota h ldkiyo ka,,tb log unko szaa dene ki bjay vkt ko hi klyug btate h-
तुम्हारी जहालत से मैं ख़ौफ़ खाता हूँ,
छोड़ो, मत बनाओ घर मेरा,
मैं वापस लौट जाता हूँ।
ऐसी नफ़रत तो रावण से भी ना की थी मैंने,
जितनी तुम ख़ुद ही से करते हो,
तुम क्या करोगे इंसाफ़ मेरा?
मैं ही फिर वनवास को जाता हूँ।-
जिसपे टिकी है दुनिया वो आधार ना छूटने पाए...
चलती हुई नाव बीच मझधार ना डूबने पाए।
फैसला जो कुछ भी हो स्वीकार कर लेना...
मंदिर और मस्जिद का प्यार न टूटने पाए..
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क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा। सबमें ही हैं रघुवर बीरा।।
जीवन पंचतत्व आधारा। राम नाम को एक सहारा।।
मोरे मन बसते रघुराई। संग जानकी, लछमन भाई।।
स्वास स्वास में राम समीरा। राम नाम से मन गंभीरा।।
मैं सुमिरुं राम हरि हर को। सरल करें राम दुष्कर को।।
चौदह भुवन एक भूपाला। राम प्रभु रघुकुल उजियाला।।
सकल बिस्व चराचर माहीं। राम नाम को बल है समाई।।
जो रघुवर को नाम पुकारे। रघुवर तेहि भवपार उतारे।।-
हर युग में नारायण आते हैं
हमें हमारे कर्तव्य से अवगत कराते हैं
कभी मृत्स्यवतार में भक्तों की पीड़ा हरते हैं
तो कभी कूर्म रूप में मंदराचल का बोझ उठाते हैं
वाराह रूप में तो कभी वामन रूप में
तीन पग की लीला रचाते हैं
हर युग में नारायण आते हैं
नरसिंह रूप में प्रहलाद के प्राण बचाते हैं
कभी कृष्ण बन निधिवन में रास रचाते हैं
गीता की गरिमा बढ़ाते हैं
सारथी बन अर्जुन का मार्गदर्शन कर जाते हैं
हर युग में नारायण आते हैं
जहां राम बन धर्म स्थापित करते हैं
तो वहीं नटखट कृष्ण बन प्रेम का उच्चारण करते हैं
कभी रूप मोहनी धारण कर भस्मासुर को भस्म करते हैं
तो कभी परशुराम बन ज्ञान और बल का महत्व समझाते हैं
हर युग में नारायण आते हैं
हाथ में मार्जनी लिए बुद्ध अवतार में जीव हिंसा को रोकने आते हैं
हर युग में नारायण आते हैं
हमें हमारे कर्तव्य से अवगत कराते हैं
क्रोध और भय से मुक्त कराते हैं
धर्मास्त स्थापित कर जाते हैं॥-
लंक विध्वंस किए हनुमाना
रघुराई अति किए बखाना
तुम्हरी भुजा है शक्ति अपारा
महाबली तुम जग पहिचाना
(अनुशीर्षक में पढ़ें)-