Rajat Dwivedi   (©रजत द्विवेदी)
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Joined 16 November 2017


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Joined 16 November 2017
20 FEB AT 22:10

दिमाग़ और दिल में जंग सदा रही।
मेरी कहानी सबसे जुदा रही।
मैं रोज़ रोज़ तुम्हारे ख्याल में चूर रहा।
दिल में धड़कती तुम्हारे प्यार की "सदा" रही।

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17 FEB AT 5:09

नाराज़गी सारी रात की तरह ढल जाती है।
सुहानी भोर तुम्हारे प्यार की फिर आती है।
मैं तुम्हारे बारे में जाने क्या कुछ सोचकर रखता हूं।
एक तुम्हारी याद में सारी सोच कुछ घुल जाती है।

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16 FEB AT 10:51

जो इश्क़ तुम्हारे हुनर को पंख दे,
वो इश्क़ नहीं इबादत ही तो है।
उसको क्षण क्षण प्यार करना,
ज़िंदगी को दुआ देने जैसा है।

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14 FEB AT 2:00

रातों में गुल खिले।
सितारों की बारात सजी।
आंखों में नींद पले।
मैंने देखा तुम्हें संग संग में,
ख्वाब ज्यों तकिए तले।

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13 FEB AT 20:28

धीरे धीरे मेरा सब कुछ तुम्हारा होता गया।
धीरे धीरे मैं तुममें खोता गया।
अब मेरे पास मेरा कुछ भी नहीं।
ज़िंदगी भी मेरी अब तुम्हारी हुईं है।
या तो मैं तुम्हारे प्रेमसागर में तरकर पार हो जाऊंगा।
या शायद लड़खड़ाती हुई नाव संग डूब जाऊंगा।

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13 FEB AT 20:23

तुम मुझसे रूठ सकते हो।
तुम मुझसे चिढ़ सकते हो।
चाहो तो मुझसे नफ़रत भी कर सकते हो।
मगर तुम मुझे भुला नहीं सकते।
कभी भी नहीं!
मैं हर दफा छू जाऊंगा तुम्हें हवा बनकर।
और भटकता रहूंगा एक ख्याल बनकर।

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13 FEB AT 9:57

मेरे लबों को, और हांथ मेरे।
मुझे सीने से लगा लो तुम,
कहीं ख़ुद में छुपा लो तुम।
बहुत वक्त से बेताब हूं मैं।
बेचैन बरसता आब हूं मैं।
मुझे तुम्हारी आगोश की जरूरत है।
तुम्हरे प्यार के समुंदर में समा जाने की चाहत है।

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12 FEB AT 7:53

तुम्हें छूने का एहसास ऐसा है, मानो बेजान देह में स्वास आ गई।
तुम इतनी वृहद चेतना होकर भी, मेरे इस दिल के छोटे से हिस्से में समा गई।

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11 FEB AT 10:14

मैं जब लिखता हूं, तो पहले से थोड़ा ज़्यादा तुमसे प्यार करने लगता हूं।
मेरी रचनाओं के शब्द शब्द में तुम प्रेम बनकर रोज़ प्रकट हो जाती हो।

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11 FEB AT 10:08

रुकने और थकने के बीच के संघर्ष में
बीत रहे जीवन को,
जब ज़रूरत होती है नई ऊर्जा की,
नई प्रेरणा की,
तो सहसा एक पल को
आँखें मूंद कर बैठना
और सोचना कि यह अंत नहीं,
बस कुछ पल का विराम है।

हम फ़िर उठेंगे, उठ खड़े होंगे वहीं से
जहां हमने अपने सफ़र को अधूरा छोड़ा था।

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