Sankalp Raj Tripathi   (संकल्प)
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Joined 4 March 2017


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6 FEB 2019 AT 23:13

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26 JAN 2019 AT 2:03

बहुत जतन के बाद ये वतन बना है,
इसे अपने भेस के साथ मत बदलो।
ये था, ये है, ये रहेगा ,
लाख कोशिश चाहो तो करलो-
इसे तोड़ने की,
कानून को मरोड़ने की,
धर्म को निचोड़ने की,
ईमान को झकझोरने की।
ये गणतंत्र मजबूत बहुत है,
नहीं कर पाओगे जो बेनियत करना चाहते हो।
तुम खप जाओगे, हम खप जाएंगे।
पर ये हिंदुस्तान है,
हर शाम कुछ ना कुछ बयां कर जाता है।
इसको नया बनाना नहीं पड़ता,
ये हर सुबह खुद ही नया हो जाता है।

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12 JAN 2019 AT 14:57

Yes, I'm a writer. But definitely not the one who would make up and write his struggle story. There are amazing people in this city for whom the biggest struggle after getting initial success is- How to write the best struggle story!

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6 JAN 2019 AT 1:58

किताबों के साथ तस्वीरें खिचाता नहीं हूं मैं।
और भी मोहब्बतें हैं मेरी जिन्हें दिल में खुद से ज़्यादा जगह दे चुका हूं।
अब कैसे कैद करवाऊं उन्हें तस्वीरों में अपने साथ -
जिनके घर में मैं बिना बताए रह चुका हूं।

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1 JAN 2019 AT 13:47

तुम्हारा आना जाना लगा रहता है,
मेरा तुमसे नाराज़ होना, तुम्हे मनाना लगा रहता है,
उम्मीद खुद की तुमपे टिका देता हूं,
हर बार जब शुरू होते हो तो कुछ वादे खुद से कर लेता हूं।
जाते - जाते हर बार मुड़ कर पूछ जाते हो,
जब निभा नहीं सकते तो वादे क्यों करते जाते हो!
चलो इस बार कोई वादा नया नहीं करूंगा,
बस, हर कहानी पर तुम्हारी हर तारीख के साथ अपना दस्तखत करूंगा।

१.१.२०१९
1.1.2019



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18 DEC 2018 AT 0:31

बहुत कहा।
बहुत सुना।
बातों से बातें बनती वो ज़माना गुजर गया।
समझ आजाए जो वो अफसाना गुजर गया।
अब मिलेंगे कहीं कहने सुनने,
कुछ नए से सपने बुनने।
अपनी के बीच, अपनों के साथ -
रुपहले पर्दे पे।
तब तक के लिए,
इंतेज़ार रहेगा,
इंतेज़ार करिएगा।

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23 NOV 2018 AT 10:06

सफर अलग, कहानियां अलग।
मसले अलग, मिज़ाज अलग।
फलसफे अलग, फैसले अलग,
ये हमारे रिश्ते की जम्हूरियत की बातें हैं।
आओ, आज खाना साथ खाते हैं -
दस्तरख़्वान पे शिकवे सारे आज मिटाते हैं।

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16 NOV 2018 AT 9:11

सफर साथ करना था,
साथ गिरना था, साथ चलना था।
सुनो, देखो मुकरो मत -
वादा किया था तुमने की साथ चलेंगे हम जहन्नुम में भी।
अब मुड़ गए हो तो वापस पलट कर मत देखना,
कमजोर मत होना, मेरी कमी में मत छटपटाना।
मुड़ गए तो मुझे टूटा देख लोगे,
अफसोस होगा, पछतावा होगा।
मत करना।
बस चलते जाना -
मोहब्बत की खातिर।
जिसे ज़िंदा रखने के लिए,
हम में से एक का सांस लेते रहना जरूरी है।
अलग अलग ही सही, चलते रहना जरूरी है।

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15 SEP 2018 AT 13:18

वो जो तुमने कल सुनने से इंकार कर दिया था-
वो मैं कल कहने से इंकार करता हूं।
मर्जी तुम्हारी, इज्जत हमारी-
आओ अपने-अपने हिस्से की दोनों बचा लेते हैं।

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29 NOV 2020 AT 18:04

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