अनुभव अवस्थी   (Anubhav Awasthi)
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Joined 4 June 2019


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Khulne lage hain sehar
Aao mulakat karenge,
Bs Mobile mat Lana
Hum baat krenge.❤️

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प्यार है जो तेरे लिए दिल में
वो कभी मरेगा नहीं,
और तुमसे मिले तो ऐसा लगा
ये दिल कभी भरेगा नहीं।
❤️

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जिसपे टिकी है दुनिया वो आधार ना छूटने पाए...
चलती हुई नाव बीच मझधार ना डूबने पाए।
फैसला जो कुछ भी हो स्वीकार कर लेना...
मंदिर और मस्जिद का प्यार न टूटने पाए..

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उसका हाल जरूर पूछते रहना
जिसके सीने में दिल की जगह तुम धङकते हो।

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जब जिंदगी की भाग-दौड़ से परेशान हो,
तो एक बार गांव के मकान चले जाना।
और आ जाए किसी बात का घमंड जो,
तो एक बार मेरे भाई शमशान चले जाना।

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लड़ सको दुनिया से, जज्बों में वो सिद्दत चाहिए
इश्क करने के लिए इतनी तो हिम्मत चाहिए।

- नदीम शाद

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जा तो रहा हूं मैं पर
एक दिन मैं आऊंगा।
मुरझाई सी बगिया है जो,
नए गुल खिलाऊंगा,
एक दिन में आऊंगा।
जिस दलदल में फंसी हो तुम,
जिस मुश्किल में रामी हो तुम,
इन दलदलों से खींच कर,
मैं तुम्हें ले जाऊंगा।
एक दिन में मैं आऊंगा।
काली है जो रात तेरी,
दबी है जो बात तेरी।
बेरहम दुखड़ा ये तेरा,
दुखी जो मुखड़ा ये तेरा।
तेरे मुखड़े की वो रौनक,
मैं तुम्हें लौट आऊंगा।
एक दिन मैं आऊंगा।
ये घूमने फिरने की बातें,
ये प्यार वाली मुलाकाते।
वो वादियों का पूर्ण दर्शन,
वो सागरों का भूर यौवन।
खुशी कैसे ढूंढते हैं,
मैं तुम्हें सिखाऊंगा
एक दिन में आऊंगा।

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कल गर हम दोनों एक ना हुए तो..
वह घातक मंजर कैसा होगा।
पानी के बिना जैसे फसलें होती है,
हां बिल्कुल बिल्कुल वैसा ही होगा।

सखियां जो तुम्हारी तारीफेऺ करती है
कहां गया वह आशिक यह तो पूछेंगीं।
घर के आंगन में जो लगी है तुम्हारे,
वह प्यारी प्यारी पंखुड़िया भी पूछेंगीं।
मेल मिलाप हम जिन पर किया करते हैं,
वह सूनी होंगी तो गलियां भी पूछेंगीं,
मैंने सब लिखी है जो भी तुम्हारे लिए,
वह सब प्यारी प्यारी शायरियां भी पूछेंगीं।

अपने दूल्हे का जब तुम चेहरा देखोगी,
उसमें तो तुमको मेरा चेहरा झलकेगा।
वरमाला लेकर जब आगे बढ़ोगी तो,
मेरी सुध करके हाथ कांपेगा।
कल गर........

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Jo Mithas Mithai me hai..
Wo toffee me kha?
Wo baat chai me hai..
Wo coffee me kha?

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वर्णन करूं क्या उसके रूप का,
जैसे परी कोई आसमां से आई है।
कोमल-कोमल हाथ उसके जैसे कमल हो,
उनपर रची मेहंदी भाई क्या रंग लाई है।
दुबली सी पतली सी हिरनी सी चलती है,
सुंदर आंखों में झील सी गहराई है।
नाक में जो पहने हुए एक नथ वो,
उस पर दिल मेरा आ गया भाई है।
क्रोध को वो अपने नाक पर रखकर,
डांटती है ऐसे जैसे वो मेरी माई है,
उसको देखकर इतना सुकून मिला,
जैसे सूखे में बदली छाई है।
बनके बहार वो मेरे जीवन में,
सुंदर सुशील कुसुम कली आई है।

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