Wo is raah se bhi guzrenge ek din
yahi umeed liye din raat intzaar kiya karti hu
Janti hu mai unki manzil nahi
par aj bhi koshishe beshumaar kiya karti hu❣-
दौर ए राह में मुझे कुछ और आसान नजर आता नहीं ,
एक तेरे इश्क की बात भी अब बस की बात नहीं ।-
आदि हूँ मैं, अंत हूँ।
अंतरिक्ष सा अनंत हूँ।
ठगों की भी बस्ती में,
मैं जैसे कोई संत हूँ।
सूर्य सी तपिश है मेरी,
चाँद सा मैं नम्र हूँ।
तुम्हारे हर एक सवाल का,
मैं जैसे कोई व्यंग्य हूँ।
आवारा एक बादल की तरह,
हाथी सा मदमस्त हूँ।
पहाड़ कोई सामने,
तो चींटी का प्रयत्न हूँ।
अपने कर्मक्षेत्र में,
सिंह सा प्रशस्त हूँ।
अमावस की काली रात में,
मैं रौशनी की जंग हूँ।
अमृत के संसर्ग में,
हलाहल का मैं प्रबंध हूँ।
आदि हूँ मैं, अंत हूँ।
अंतरिक्ष सा अनंत हूँ।-
मंज़िल की तरफ जाती हुई राहों में अगर कांटे हो...
थोड़े रुको🚶.......थोड़े चलो🏃.......
एक गरीब...नौकरी ढूंढ रहा था अखबार में...💭
लिखा था✍..."पकौड़े तलो" 😢-
जी के मरो मर के जीने में क्या ख़ुशी है।
तुम जैसे जी रहे हो "राह" इससे अच्छा तो करना खुदकुशी है।।-
Pyar karu ya naa karu,
Yaad karu ya naa karu..
Raah teri,
Dekhu ya nhi..
Itna to bata de mujhe,
Bin tere jeeyu ya nhi..-
अच्छा तो फिर हम अब चलते हैं,
सफर को यही प्रणाम करते हैं।
कोई छुट गया तो कोई मिल गया,
मिला जो अपना छुटा वो खाली सपना।
लेकर गया हुँ एक चीज़ बस प्यार,
जो मैं छोड गया वो बस परिवार।
कुछ जिम्मेदारी तेरे कंधो पर रही नितु,
माफ कर इस बार अलविदा तेरा चिंटु।
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तुम सोचते हो तुम्हारी राह देखता होगा
हो सकता है नयी लड़की देखता होगा
जरा गौर से देखो उसकी आँखों में
झूठे वादों का शैलाब तैरता होगा
तुम तो आज भी उसे याद करते हो
वो तो कब का तुम्हे भूल चुका होगा
और तुम आज भी उसी रास्ते पर हो
यकीनन वो नयी मंजिल ढुढ़ता होगा-