भरे जख्म फिर से सताने लगे है
वो फिर से कही दिल लगाने लगे है
जिन्हे भूलने मे जमाने लगे है
वो अब गैर संग नज़र आने लगे है
दवा वो नशे से भुलाए जो सपने
वही ख्वाब आँखो मे छाने लगे है
जो गुज़रे है वक़्त क़यामत के जैसे
उसी दौर मे हम जाने लगे है
-
काश चांद और सूरज को भी इश्क़ हो जाए,
पता तो चले कयामत क्या चीज होती है-
Jab wo apni Nashili Aankho me,
Kajal Lgakar Muskurati he..
To Maano Jaise,
Qayamat Me bhi qayamat aajati he..!!!-
कयामत का खौफ हमें ना दिखाइए जनाब,
महोब्बत ने जनाज़ा उठाना भी सीखा दिया है ।-
_इश्क़_
गर साथ छूटे...
तो जुदाई का गम ना हो...
जूनून-ए-इश्क़...
क़यामत तक कम ना हो...
-
Jaza aur saza ke liye allah paaq ab
Qayamat ka intzaar nahi karwata...
Yahin par isi duniya mai sabko
Sab kuch bata deta hai....!!!-
मेरे महबूब को रास नहीं आता कोई श्रृंगार
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखती है-
ना आदत की है
ना ज़रूरत की है
बात ‘क़यामत’
तक साथ निभाने की है।-
ख्वाबों के जहां में इश्क़ की सियासत होगी
जर्रे जर्रे में नाम गूंजे हमारा वो रियासत होगी
प्रेम में बिछड़ने की कहानियां पुरानी होगी
इश्क़ के लिए अब दुनिया में बगावत होगी
अटूट बंधन बंधेगा, न ही कोई बेवफाई होगी
झूठे इल्ज़ामों से आशिकों की ज़मानत होगी
अपने इश्क़ की आग में अब ऐसी तपिश होगी
आग के दरिया को अब खुद से शिकायत होगी
प्रेम हमारा पाक होगा, ऐसी रहमत होगी
अपने इश्क़ पर अब खुदा की इनायत होगी
बुरी नजरों से बचाकर इश्क़ की हिफाजत होगी
मानो ये मोहब्बत हमारी खुदा की अमानत होगी
तेरी खुशियाँ मांगूगा पांचों समय अजान होगी
उस खुदा से तेरे लिए अब रोज इबादत होगी
जो तू कभी चाहकर भी 'अभय' से दूर होगी
सब कुछ ख़त्म हो जाएगा ऐसी क़यामत होगी-
लोग नशे में कम हैं जो शराब बनाना चाहते हो
ये क़यामत कम है जो नक़ाब हटाना चाहते हो-