Sam Shah   (SAM)
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Joined 11 December 2017


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Joined 11 December 2017
18 MAY 2022 AT 22:15

Hm shant samundar jaise h
Khamosh hmari lahre h
Gardish bhut h andar lekin
Bahar sabar k pahre h
Pani sar se jab uthega
Sabar ka badh jisdin tootega
Hm sunami bnkr ayenge
Hr zulm ki bahti qasti ko
tufano me dubayenge
Hm aman ko wapas layenge

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2 SEP 2021 AT 23:04

भरे जख्म फिर से सताने लगे है
वो फिर से कही दिल लगाने लगे है
जिन्हे भूलने मे जमाने लगे है
वो अब गैर संग नज़र आने लगे है
दवा वो नशे से भुलाए जो सपने
वही ख्वाब आँखो मे छाने लगे है
जो गुज़रे है वक़्त क़यामत के जैसे
उसी दौर मे हम जाने लगे है

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11 JAN 2022 AT 22:01

जिसे तुम अपना समझते हो ना
वहीं तुम्हे अपनो से दूर कर देगा
बेकसुरी के क़िस्से जिसके सुनाते हो
दो पल मे वो कोई कसूर कर देगा
मेरी कहानी को मेरे तक ही रहने दो
कोई सुनेगा तो मशहूर कर देगा
तुमपे चढ़ा है ना जिसके होने का सुरूर
वही तेरे गरूर को चकनाचूर कर देगा
जिसके आमद पे रौशन पूरे शहर किये
वहीं तुम्हे महरूमे नूर कर देगा
मयकशी तर्क कर नीले चश्म पे गये
उनकी आँखे ही नशे मे चूर कर देगा
उसके तारीफों के जाल मे फँसते जा रहे हो
किसी और को भी एक दिन वो हूर कर देगा
बंद आँखो से ऐतबार अच्छा नही SAM
ये अदा फना वो बर्बाद तुम्हे जरुर कर देगा

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5 JAN 2022 AT 22:24

इन मौज़ो को देखकर ये ख्याल आता है

बूंद से बूंद जुदा होता है एक ही दरिया में

फिर आदमी क्या चीज़ है

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3 JAN 2022 AT 22:45

Kal pure din soya
puri raat bhi soya
fir aaj pura din bhi
sote huye guzra...
Kya kru sote sote thak gya hu
Ab mjhe aaram ki jrurat h

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31 DEC 2021 AT 22:55

छुपा रखा था जिन यादों को दिल के तहखाने मे
भींगा दिया उनको लाकर के मयखाने मे

की अब ईश्क़ से ना होगा वास्ता दूर तक कभी
इसी उम्मीद से आगे बढे है कुदरत के कारखाने मे

भीक मे मांगी गई मुहब्बत की नही कोई तलब
चन्द यार ही काफी है इस तंग जमाने मे

छलकते जाम से बढ जाती है तिसनगी
फक़त दो घूंट ही रहने दो पैमाने मे

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29 DEC 2021 AT 22:27

रेत मुट्ठी मे उठाता हूं गिरा दिया करता हूं
नाम लिखता हूं जमीं पे मिटा दिया करता हूं
याद आती है जब कभी रातों मे
किसी तरह खुदको सुला लिया करता हू
शबे ख्वाब मे जब आती हो तुम करीब
अपने तकिये को गले लगा लिया करता हू
अब बारिश बादल धूप छाँव मायने नही रखते
कभी भींगता हू तो कभी खुदको सुखा लिया करता हूं
उसकी यादों से निजात पाने के चक्कर मे
कई अजनबियों को अपना बना लिया करता हूं
जब भी मिलता है कोई जख्म दोस्तों से
दुसमनो को तोह्फे भिजवा दिया करता हूं
जाम से प्यास जब दिल की बुझने लगे
तो थोड़ी मुहब्बत भी उसमे मिला दिया करता हूं
जब बात होती है ना अहल लोगों से
बिन सोचे हाँ मे हाँ मिला दिया करता हूं
जब कभी जवानी ढ़ूँढ़ती है तेरे घर का पता
बचपन की यादों मे उसे घुमा लिया करता हूं
कुछ इस तरह यादों से पीछा छुड़ा लिया करता हू

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20 NOV 2021 AT 22:43

जिसकी dp तक देखने से धड़कन बढ़ जाये
सोचो वो सामने आ जाए तो क्या होगा

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18 NOV 2021 AT 22:37

धड़कनो में भड़की आग है ये धुन है ये साज़ है
जाऊँ कहीं हर सिमत यहीं गूंजती आवाज़ है

फतह कर हर बुलंदी जिसको खुद पे नाज़ है
कल तो एक राज़ है जो आज है वही जीत की अंदाज़ है

मेरी क़िस्मत को है लगता हार कर गया हूं बैठ
मुझको लगता ये तो बस इक पहली सी आगाज़ है

बारिश मे भीग जाये पंछी वो नही है हम
हम तो वो बाज़ है बादलों से ऊपर भी जिसकी परवाज़ है


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31 OCT 2021 AT 22:09

ना बादल है वो ना है कोई दरख्त
फिर भी कितनो पे छाव करते है
कैद करके मुझे मुहब्बत के जंजीरों मे
जाने कितने खेमों में पड़ाव करते है

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