ना तुम्हें पाने की थी इल्तजा,
ना तुम्हारे साथ की थी प्यास,
मिले तो थे क़िस्मत बनकर पर
रहें बनकर एक मीठा अहसास।-
बस इतना की आइने के
उस पार है एक हमराही,
बाकी तो अब अपनी परछाई
पर भी ऐतबार नहीं करते हम!!-
बेपनाह प्रेम हैं उससे मुझे, पर
मैं इजहार नहीं कर सकती।
मजबूरी तो देखिए मेरी.. जनाब
मैं खुलके प्यार नहीं कर सकती।
डरती हूं...!
मैं इस समाज के बंधनों से, पर
बदनसीबी तो देखिए मेरी.. जनाब
मै इस प्रेम से इनकार भी नहीं कर सकती।-
गुरु मेरी पूजा
गुरु गोविन्द
गुरु मेरो पारबर्ह्म
गुरु भगवंत
अपने गुरु को बलि बलि जाइये
अपने गुरु को बलि बलि जाइए-
❤मेरे प्रीतम तुम ये अनुभूति संभव ज्ञात नहीं सकते।
की तुम्हारे मुख से निकली मातृ एक प्रेम वाचक शब्द।
मेरे हृदय के सुखी बंजर स्थल पर कितनी तरी पहुँचाता है।।
आपकी प्रियतमा ❤-
এমন এক বন্ধন যার কোনো নাম প্রয়োজন হয় না.. অজানা স্রোতে ভাসমান এক সম্পর্ক...
ভালোবাসার কিছু পাগলামো দিয়ে ভরা,
কিছু আবদার আর খুনসুটির গল্প।-
लोग कहते हैं
जिनके अंदर तपिश होती है
वो प्यार नही कर सकते,
तो आफ़ताब में ही अक्सर
गुल क्यों खिलते हैं।-
मैंने तुम्हें चाहा,बदले में तुम भी मुझे चाहो
कोई सौदा है क्या ?
मेरा इश्क़, इश्क़ है कोई तिजारत है क्या है ।।-