तेरी जुल्फे मानो रेगिस्तान मे क़ाली घटा
तेरी अधरों की उपमा कोई कमल लिख जाती है,
तुझे सोचता हूँ पिरो कर कोई कहानी लिखूँ,
तुझे लिखता हूँ तो गजल लिख जाती है !!-
And my poetry page on Instagram as @kavita.vandan
I invite ... read more
बिछड़ कर कोई फिर जुड़ा तो क्या जुड़ा,
दिल जुड़े पर नाम न जुड़ा तो क्या जुड़ा ।
जुड़ने को जुड़ा है आसमाँ और जमीं क्षितिज के पार,
पर जो ये सगर के लहरों से न जुड़ा तो क्या जुड़ा ।।
ख़्वाब जुड़ा, खयाल जुड़ा, जुड़ा अल्फाज़ भी,
पर जो शब्दों से तेरे जज़बात न जुड़े तो क्या जुड़ा ।
और जुड़े हैं तेरे पल्लू से जरी और सितारे कई,
पर तेरे पल्लू की गाँठ मेरी पर्दनी से ना जुड़ा तो क्या जुड़ा ।।-
हम जितना प्यार तुझसे जतायेगा कौन,
तेरे इतने सारे नखड़े उठाएगा कौन,
वक़्त-वक़्त पर रूठा करो, मनाना हमे भी भाता है,
गर वक़्त-बे-वक़्त रूठोगी तो मनाएगा कौन,-
कंधों पे जिम्मेदारियां लिए चंद पैसे पाने को,
देखो, रोटी छोड़ निकला है एक शख्स रोटी कमाने को,
जेबे खाली है पर कहता है कल पैसे दे दूंगा,
क्या बहाना बनाता है बाप, पसंद की खिलौने दिलाने को,
ये सज्जा ये श्रृंगार सब फीके पड़ जाते हैं माँ के,
गर पापा के नाम, चुटकी भर सिंदूर न मिले लगाने को,
जमाने हुए नए कपड़े या जोड़े जूते ही लिए अपने वास्ते,
खुशी-खुशी आज लुटा रहा अपना, बच्चों के कल बनाने को,
नित दिवस एक नई जंग होती है जीवन हर बाप की,
चिलचिलाती धूप में जलता है, घर के अँधियारा मिटाने को,-
इतने करीब ना आओ,
आँखों आँखों मे हम दिल चुरा लेते हैं
तुम हमारी साँसे चुरा लो,
हम तुम्हारी धड़कन चुरा लेते हैं।।
🥰🥰🥰-
कुछ राजों को खोलने लगा हूँ मैं
धीमे ही सही मगर बोलने लगा हूँ मैं
आईना दिख रहा लोगों को बातो से मेरी,
कुछ तो कह गए, आग उड़ेलने लगा हूँ मैं,
परत दर परत जाने कितने चेहरे हैं यहाँ
कुछ चेहरे को बेनकाब करने लगा हूँ मैं,
अपनो की नज़रों में चुभ रहा हूँ काँटों की तरह,
लगता है पहले से काफी बेहतर करने लगा हूँ मैं
समाज के रखवालों को इतनी सी बात खल रही,
परिंदा था पिंजरे का, अब उड़ने लगा हूँ मैं ।।-
माफ करना, कि एक गुस्ताख़ी कर रहा हूँ,
जो खुद चाँद हैं, उन्हें ईद मुबारक़ कह रहा हूँ,-