Purvi Rathod   (पूर्वी राठोड़)
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Joined 12 May 2021


Joined 12 May 2021
20 APR 2023 AT 15:05

माँ के बिना जीवन का
हर लम्हा सुना है!

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24 OCT 2022 AT 22:10

Happy Diwali

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17 JUL 2022 AT 12:25

तू ही बता कैसे लिखूं ?

थोड़े से शब्दों में बहुत सारा प्यार.....

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17 JUN 2022 AT 12:47

जब तुम होते हो
तब तुम होते हो
जब तुम नहीं होते हो
तब सिर्फ तुम होते हो....

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15 JUN 2022 AT 12:03

बच्चे थे न जाने कब बड़े हो गए
बेपरवाह थे कब समझदार हो गए
कल तक नहीं पता था अपने पराये का
आज केवल घर तक सिमटकर रह गए
घुस जाते थे किसी के घर में बिना पहचान के
आज पड़ौसी भी सबके लिए अंजान हो गए
कभी कभी लगता है कितना अच्छा था बचपन,
क्यों समझदारी का बोझ लादकर
घर में ही क़ैद हो गए।

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12 JUN 2022 AT 20:48

ऐ जिंदगी आ बैठ
कहीं चाय पीते हैं

थोड़ा-सा सुस्ती लेने दे
फिर दुबारा चलते है

थक गई होगी तू भी,
मेरे संग दौड़ लगाते-लगाते
तरो ताजा होकर फिर से,
ऊँची उड़ान भरते हैं

इतनी क्या है जल्दी चलने की,
उम्र के इस पड़ाव में थोड़ा संभलकर चलते हैं
और इंतजार न करवाऊंगी अब तुझको,
बस एक-दो चुस्की ओर मार लेते हैं

देख तो मौसम भी गड़बड़ा गया है,
दो पल इसी बहाने मुसाफिरों के संग भी गुजार लेते

ऐ जिंदगी आ बैठ,
कहीं चाये पीते हैं.....

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7 JUN 2022 AT 16:58

1633 Love Story

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12 MAY 2022 AT 20:06

Some problems do not
come to test us,
but to identify the people
associated with us.

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8 MAY 2022 AT 12:53

माँ की " साड़ी "
कुछ सामान ढूंढते  वक्त माँ की ' साड़ी '
अलमारी में मिली ।

मुझे याद है एक दिन माँ ने कहा था
ये ' साड़ी '
तुम पर बहोत अच्छा दिखती है ।।

मैं उसे पहनने लगी ....
एक हाथ से ' साड़ी ' को घुमाकर ,
कमर में बांध दिया ।
तब मन और शरीर दोनों को
सुकून सा लगा ।।

आईने की ओर देखा ...
तब मुझे ' साड़ी ' पर कुछ बिखरी हुई ,
सिलवटें नजर आयी ...
मेरी आखों से आँसू काश रुक जाते ।
और एक - एक सिलवटे आज माँ की याद दिला रही थी ।
इच्छा ज्यादा नही बस इतनी , 
काश एक बार ये ' साड़ी ' पहन के माँ को दिखा पाती ।

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25 APR 2022 AT 21:13

अभी तक तो मै उनसे मिली भी नहीं हूँ
फिर ये धडकनें बढ़ सी क्यों गई !

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