तोफै ले जाने की रीत ने
नजदिकियां कम दूरीया ज्यादा बढ़ाई हैं-
कहां फकीरों के बच्चों की अमीरी देखी है तुमने साहब
अरे वो तो गिनती भी तारों से सीखा करते हैं-
अमीर हो या गरीब मिलना सबको एक दिन मिट्टी में ही हैं।
( Rich or poor, they all meet in the soil one day )
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ग़रीब होना गुनाह सा लगता है ,,,,
के गरीब होना हमें गुनाह सा लगता है ,
अपने आगे खाई और पीछे कुआं सा लगता है ,,,,
हम कहीं जाएं भी तो जाएं कैसे -
पैसों ने रास्ता रोक के जो रखा है ।-
राह चलते हुए, हर बार दुआ करता था,
जान निकली भी तो, बस एक निवाले के लिए ।-
आज कल रोटियां कम कम खा रहा हूं साहब,
मौसम बदल रहे हैं, कुछ गर्म कपड़े लाने हैं !!
آج کل روٹیاں کم کم کھا رہا ہوں صاحب..
موسم بدل رہے ہیں,کچھ گرم کپڑے لانے ہیں !!-
उलझन की नगरी मे लाकर उतार देती है
ये मुफ़लिसी जीते जी हमको मार देती है-
मुफ़्त में तो बस मुफ़लिसी आती है।
बाक़ी सब तो रईसी ख़रीद ले जाती है।-
गरीबी और मजबूरी
कभी अक्ल छोटी नहीं देते
ये दुनिया है जनाब
यहाँ सगे रिश्तेदार भी बिना काम करवाए
रोटी नहीं देते-