ये शहर, भी क्या शहर है..
हवाओं में धुआँ हैं..
फिजाओं में जहर है..
©dr Vats
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पौधारोपण जो किया था तुमने
उसे सहेज कर रखा है क्या ?
किस हाल में है, हरा या सूख गया
जाकर दोबारा देखा है क्या ?
नन्हें पौधे को जन्म देकर जमीं में
उसका पालन पोषण किया था क्या ?
देकर जन्म तुम्हारे वालिदैन ने तुम्हे,
किस्मत सहारे छोड़ा था क्या ?
सघन छाया,पक्षियों को पनाह,उम्र भर हवा देता
उसके होश सम्भालने तक,सम्भाल नहीं सकते थे क्या ?
धूप में मर गया,सूख गया,सिर्फ लापरवाही से
दो बूंद पानी भी नही पिला सकते थे क्या ?
फोटो खींच, हीरो बन, सिर्फ सोशल मीडिया पर शोर मचाकर,
ऐसे पर्यावरण का सुधार करोगे क्या ?
पेड़ काटकर,पानी बहाकर,धुंआ फैलाकर
आने वाली नस्लों को तबाह करोगे क्या ?-
बचा लो कुछ अपने कल के लिये भी
ना-समझी में ख़ुदा से लड़ने लगे हो तुम,
हवाओं ने जो अपने तेवर बदल लिये
फिर सांसो के लिये तड़पने लगोगे तुम,
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चारों तरफ एक धुंधली , चादर सी है ।
कुछ साफ नजर नहीं आता ।
डर लगता है घर से ,बाहर निकलने में ।
घर में रह रहकर ,मन ऊब जाता ।
बच्चे पार्क में, जा नहीं सकते।
वृद्ध भी अपनी, टोली जमा नहीं सकते।
चारों तरफ फैला प्रदूषण, आप सभी सोचो।
क्या हम सब मिलकर ,इससे निजा़त पा नहीं सकते। सरकार को दोष देते हैं, क्यों हम सब मिलकर।
प्रदूषण को कम करने, का बीड़ा उठा नहीं सकते।
सभी के साथ से, सब मुमकिन हो सकता है।
ये तो प्रदूषण समस्या है, लोकतंत्र के संगठन से। सरकार का गठन हो सकता है।-
कल तो ख़ुशियां बेशुमार आयी थी
आज ये सांसो को दुशवार कैसा है,
दिवाली पे खूब सफाई हुई थी ना
फिर ये आज ग़र्द-ओ-ग़ुबार कैसा है !!-
ये दिवाली की ज़रा सी धुंध नहीं संभाल पाती है,
इस दिल्ली की नब्ज़ में कितनी नाज़ुक मिज़ाजी है !!
یہ دوالی کی ذرا سی دھندھ نہیں سنبھال پاتی ہے..
اس دلی کی نبض میں کتنی نازک مزاجی ہے !!-
AIR
I was fresh,
I was clean,
Helped you breathe,
But my love unseen.
Dependent I've become,
So grey before my age,
Since you turned me old,
Now I'll settle in your cage.
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