लिखने बैठती हूँ
किताबे भर जाती हैं
सोचने भर से उसके बारे मे
हिचकियाँ शुरू हो जाती है
ममता उसमे इतनी है
आकाश की ऊँचाई
कम पड़ जाती है
दुआओं मे ताकत है उसके इतनी
कि कोई तकलीफ मुझे
छू ना पाती है
जब छुपाती वो मुझको
अपने आंचल में
जन्नत मुझे मिल जाती है
उसकी आँखों में
हर पल फिक्र मेरी होती है
उसके हर पल में
दुआएँ मेरे लिए होती है
वो सारी दुनिया है मेरे लिए
मेरी भी रूह में
बस मिलने की तड़प उससे होती है
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