ফাগুন আহে পছোৱা বলে
লুইতৰ বুকুত ঝাওবন হালে
মদাৰে আজাৰে বেজাৰ কৰে
লঠঙা সাজেৰে কেনেকৈ নাচে ।-
ओ बलमवा, रंगरेज मोरे
रंग मन भी, तन संग मोहे
तोरी जोगनिया, रस्ता देखे
आया फागुन, आया ना तू रे
ओ बलमवा !-
छू के कर लूँ दीदार तेरे
सफल हो जाए सबरना मेरे
दे दे कोई नायाब तोफा
पहली मुलाकात
कि स्मृति लेखा
नस्वर सा कोई
अनमोल चिन्ह
जब आइना देखूं
नजर आये मेरे चेहेरे
कि हर पन्ने पर
जब भी पहनू
श्वेत बस्त्र हर आँचल में
तेरी जिस्म की खुसबू आये
जब भी सोया रहूं
खामोसी रातों में
तेरी खुसबू भर
जाए मेरे प्राणों में
सो ना पाऊं ऐसे
तड़प दे जाओ
भूल ना पाऊं
निहार✍️ ऐसी यादें दे जाओ ।-
कितने फागुन बीत गये
लेकिन रहा एक ही याद
जब नैनों से नैन मिले थे
हुआ था मौन नेह-संवाद!
स्मृति-नभ में उड़ती रहती
मन की इन्द्रधनुषी पतंग
रंगों से भरी सरिता बहती
जिसमें भीगा है अंग-अंग!
हर बरस फागुन लिखता है
रस छलकाते छंद श्रृंगार के
अनुपम भावचित्र दिखता है
इस मादक फागुनी बयार में!
----राजीव नयन-
"पुकारता ये फाग है गुलाल छवि बिखर रही,
निखर रही धरा की छवि फाग अब नहलायेगा।
व्योम के तुम बादलों गरजो नहीं बरसो ज़रा,
धरा से मिल बूँद से भिगो के अब वो जाएगा।।"-
ঈশ্বর নীচের বিশ্বের সৌন্দর্য প্রকাশ করেন
কখনও কখনও সামান্য ড্যাশিং, ঈশ্বর কখনও প্রবাহিত হয়।
বেশিরভাগ ঈশ্বরের মহিমা মাধ্যমে সম্পন্ন হয়।
যদিও আবহাওয়া ঝড় তুলতে পারে,
ঈশ্বর একটি প্রজাপতি ভাসমানের মত-