एनएसएस सात दिवसीय शिविर
पूरे साल जिसका इंतेज़ार होता है
एनएसएस का शिविर बहुत खास होता है
साथ मिलकर काम करते है
एक दूसरे को अकेला महसूस नहीं होने देते है
साथ मिलकर मनोरंजन करते है
साथ मिलकर खाना खाते है
घर जैसा माहौल बना देते है
इतने लोगो में भी अकेलापन महसूस नहीं होता
एनएसएस में कभी कोई पराया नहीं होता-
जीवन शैली के परिवर्तन का नाम है एनएसएस,
व्यक्तित्व विकास का नाम है एनएसएस।
साझा करूं कुछ अपनी ही जुबानी,
याद आती है वो १० दिनों की कहानी।
जहां ज़माने से जीतना था,
सूर्य को हराना था,
प्रभात फेरी -"उठ जाग मुसाफिर" से शहर को जगाना था।
नाश्ते में पूरियों के लिए लड़ाई
और पानी वाली चाई की बुराई
ये तो रोज़ का काम था,
फिर भी साथ में मिलकर रहना, ये एनएसएस का देन था।
परेड का हो मैदान या हो श्रमदान,
पसीना तो दोनों में बहाना था,
व्हाइट टाइगर से राजपथ के मरकज बनने का सफर कहां इतना आसान था।
रातों की वो अधूरी नींद बौद्धिक सत्र में ही पूरी होनी थी,
परिवार से दूर रह कर भी परिवार कि कमी कहां महसूस होती थी।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के रंगमंच पर होते थे अनेकों परिधान,
यही तो है एकता का प्रतीक - हमारा देश भारत महान।
🇮🇳जय हिन्द।🇮🇳जय भारत।🇮🇳
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Ek sath bad chalo, muskilo se lad chalo
Jit ho jahan ki, kyu kisi ki har ho
Sabki apni ho jami Sabka aasman ho.
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हम सब ने बांटा एक दूसरे को प्यार
और क्या कहूं इस विषय में, यह है मेरा एनएसएस परिवार
जब मिले थे हम सभी तो थे एक अजनबी
पर अब ऐसा लगता है, परिवार बन गए हम सभी
एक बार जुडकर एनएसएस से अलग नहीं जाना चाहोगे
और बार-बार सिर्फ, लक्ष्यगीत गाना चाहोगे
यह है मेरा एनएसएस परिवार
नफरतों को बांटकर हम नस्लें बोऐं प्यार की
कुछ अपनो के विश्वास की, कुछ सपनों के संसार की
अपनेपन की बगिया में खुशहाली का द्वार
जीवन भर की पूंजी है, एनएसएस परिवार
यह है मेरा एनएसएस परिवार-
सात दिनों की वो बात थी
Nss की पलटन सुबह से शाम तक साथ थी
सूर्य को हराना पड़ता था
उससे पहले हम volunteers को नहाना पड़ता था
ना मुर्गा चिल्लाता था , ना अलार्म सर खाता था ..थी
वो हमारी सीनियर जो दिन भर चिल्लाकर बुलाती थी
साथ बैठ कर खाते थे , बरतन भी खुद धोते थे
जब आये थे पहले दिन नये से चेहरे देखे थे
घुल मिल गए इतना की अब सब अपने लगते है
मोबाइल से दूर थे
खुद के करीब थे
ये सात दिन का सफर
अंगिनत यादें देकर
आज समाप्त हुआ ❣️-
तेरे दिखाए रास्ते पर नई नई मुझे पहचान मिली ।।
पंखे लगे हौसलों में,आसमानों सी उड़ान मिली।।-
एन. एस. एस. के वो दिन भूल तो ना जाएंगे,
वो एन. एस. एस. के बैज फिजूल क्या हो जाएंगे.
वो कैंप के दिन भी कमाल का था,
और कैंप का नस्ता भी बेमिशाल था.
अब किससे एन. एस. एस. क्लैप गोज टू कहोगे,
जिंदगी में पूरे दिन उलझे रहोगे.
खुश किस्मत थे की खुद को वॉलंटियर कह पाए तुम,
जिंदगी के असली हुनर को सीख पाए तुम...-
Ek sath bad chalo, muskilo se lad chalo
Jit ho jahan ki, kyu kisi ki har ho
Sabki apni ho jami Sabka aasman ho.
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