इस ठंड न जाने क्यों तेरे इश्क़ का रंग चढ़ा गहरा है
जी चाहता है चले आऊं पर कमबख्त घाना कोहरा है
समय की मस्ती देखो विचित्र सा ठहरा है
सब धुंधला लगे बस आंखों पे एक तेरा पहरा है-
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सुख बाटी है तो दुख भी बाट लेंगे
हम दो काफी है दर्द भी हँसते हँसते काट लेंगे-
दीपक की छोटी सी लव,
अंधकार नष्ट कर देती है।
मेरी माँ!
धुंधला रास्ता भी स्पष्ट कर देती है।-
कहूँ क्या?
कुछ आता नही
जी को कुछ भाता नही
2022 के जाने का दुःख मनाऊं या
2023 के आगमन में गोते खाऊं
क्या है नया कल और आज में
चंद्रमा-सूरज चमक रहे अब भी अपने अंदाज में।
जो भूल हुई भूतकाल में,
बस प्रयास है नही दोहराऊंगा उसे इस साल में।-
तेरी बात हमने कहाँ आज तक टाली है
मस्ती में ही सही तुझे कह तो दिया तू मेरी घर वाली है
स्वीकार करने को हम स्वत: तरसते है
दिल मे छोड़ो हम आपके आत्मा के रोमरोम में बसते हैं
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नशा स भरा एक सपना आयेगा
तेरी बाहों को मेरा तन जब अपना बनायेगा
पास मेरे तू और आती जाएगी
मेरी हथेली जब तेरे गर्दन सहलायेगी-
तुझे पसंद ना आने पर फेंक दे,
मैं वो सामान नही!
मोहब्बत का मैं वो तारा हूँ,
तू कितनी भी कोशिश कर डूबने की,
बचा लूं मैं वो किनारा हूँ!
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जीवन साथी की जो कमी थी वो पूरी हुई
उनके हाथों को तनिक से हमने क्या छुई
ये पत्थर सा हृदय जैसे लगा कोई रुई
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बरसात की बूंदों को जब धरातल पर आना है
तेरे प्रेम की सुगंध में ये आशिक़ दीवाना है
मत कर इतना बेकरार
मैं ने ठान लिया कि इश्क़ तुझसे ही करना है हर बार— % &-