एक नारी की जिवन आसान कहां है
प्यार से सिंचति है जिस घर को
उस पर नाम किसी और का,
खून से सिंचति है जिस बच्चे को
उसको नाम किसी औेर का,
इतना ही नहीं साहब उसका तो
अपना नाम भी नहीं रहता
पहले पिता का फिर पति का,
समाज के बंधन भी बस उसी पर,
और ये समाज इतना जालिम की
उसे सुकून से अकेले रहने भी नहीं देता,
कहता है बिना पति के नारी का अस्तित्व नहिं
ज़रा ये समाज मुझे बताये क्या
एक नारी का जिवन उसका नहीं है ..?
उसको आज़ाद कर के तो देखो,
उसको एक उड़ान तो भरने दो,
ए समाज एक गुज़ारिश है
उसे अपनी जिन्दगी बेखौफ तो जीने दो !
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नारी,
किसी ने तुझे पैदा होने से पहले मारा,
किसी ने पैदा होने के बाद,
किसी ने बलात्कार कर मारा,
तो किसी ने दहेज के लिए,
और किसी ने अत्याचार कर मरने पर मजबूर किया,
फिर भी तू सब सहती रही,
इसको अपना भाग्य समझकर,
एक मुर्दे के समान जीती रही,
जाने क्यों है तुझे इस समाज की फ़िक्र,
जो तेरे पर हुए अत्याचार का करता नहीं जिक्र,
चल तू अब बहुत सह चुकी,
तू नारी है कोई सामान नहीं,
जो ये दर्द न समझे वो इंसान नहीं।।-
नारी को नारी ही रहने दो,
उसे अबला न बनाओ,
इज्जत करनी है तो,
सड़क पर चलती लड़की की करो,
सिर्फ बातों में मत जताओ!-
🌸🌸नारी जीवन🌸🌸
ख़ामोशी का अनसुना स्वर , अंधेरें की अनदेखी रोशनी ।
चुराकर खुशियां अपनी , अपनों में बिखेरती ।।
लफ़्ज़ों में बयां न हो सके , सख्शियत उसकी कुछ ऐसी ।
नुमाइसी दुनियाँ में , हरपल खुदको संजोती ।।
विश्वास की गाथा है , शक्ति का शोत्र है ,
शांति की लोरी ।
पहेली छुपे जज्बातों की , अनकही अनसुनी बातों सी।।
अद्वितीय प्रतीक की प्रेरणा है
हे जग!
क्यों कर रहा इसकी अवहेलना है !-
Ye kavita har ek nari ke lie.
Kab tak royegi nari khud ko kamjor or abla samjhkar,,|
Ab uth khade ho,,chandi kali or durga bankr,||
Mana darinde teen the,, tum bhi to thi ek,|
Pehchano apni shaktiyo ko jo hr nari me h anek,,||
Kitne hatiyaro se sushobhit h nari |
Hath per daat nakhoon||
Inka upyog karo bharpoor|
Or darindo ko kr do chakna choor||
Nariyo ki ijjat aise na girayo|
Rani jhansi bali bhoomika ab sab nibhao||
Khud ki ladai khud lado tum|
Ab kisi pr b nirbhar na raho tum||
Nariyo ki shakti se ache acho ne muh ki khai hai|
Aj isi kabita se hmne ,,har ek nari ko rajiya ,,lakshibai jesi nariyo ki yad dilai hai,,||
Kab tak royegi nari khud ko abla or kamjor samjhkr|
Ab uth khade ho sab ,, chandi kali or durga bankr||-
चार दिवारी में बंद रह कर
मन कि आवाज दबाती है
हो भीड़ में गर तो खुद को अकेला पाती है
अपनों के सम्मान के लिए कई बार झुठला दी जाती है
एक नारी अपने जीवन में कई किरदार निभाती है।
हो बेटी घर की
मां का हाथ बंटाती है
बहन हो छोटी या बड़ी
भैया के राज छुपाती है
फिर भी घर के लिए बोछ बन जाती है
होती है विदा जब घर से
एक नयी दुनिया में ढल जाती है
सास ससुर की सेवा करती
व्रत रख पति के प्राण बचती है
फिर भी उसकी एक छोटी सी है कमी हर किसी खटक जाती है
मां से बिछड़ी एक बेटी
आज एक मां बन जाती है
उसी लाड और उसी प्यार से ममता दर्शाती है
फिर एक नई दुनिया की शुरुवात में
ना जाने कितने दर्द सह जाती है
एक नारी अपने जीवन में कई किरदार निभाती है
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एक जन्म में कई किरदार निभाती है
सब की खुशियों को पहले रखती है
अपने दर्द को खुद में ही सहती है
हर किरदार में वह घर की शान होती है
नारी सच में बहुत महान होती है।-
-नारी की व्यथा-
नादान पंछी हूँ
आशियाने की तलाश में हूँ
गर मुझे रख सकते हो तो
अपने पास रखना....
मेरी हौसलों में जान भरना
थोड़ा इंसानियत दिखाना
थोड़ा प्यार जताना
अनाज की लालच देकर मुझे जाल में मत फँसाना
अपनी जरूरत और खुशी के ख़ातिर अरमानों को मत तोड़ना!-
हम बालक है तेरे,
कृपा माँ हम पर भी करना..
दृढ़ बने, साहसी बने,
ध्यान हमारा सदा रखना..
मा शारदा के हंस सम,
तेज मुझे करना..
भोले के त्रिशूल सा,
अचूक मुझे करना..
विष्णु के सुदर्शन सा,
स्थान मुझे देना..
बजरंग बली की गदा सम,
पराक्रम मुझमे भर देना..
गणपति के जैसा,
शुभता का वरदान मुझे देना..
कृष्ण के सम मुझको,
गीता ज्ञान भी देना..
हृदय समाहित रहना तुम,
मेरी माँ जग जगजननी..
कष्ट करना तुम मेरे,
ओ माँ भयहरणी..🙏-