जिंदगी के सफर में तुमसे मुलाकात हो गई,
खामोश सी जिंदगी थोड़ी हसीन हो गई,
जिस प्यार को मैं थी तरस रही शायद वह मुकम्मल हो गई
एक छोटी सी सफर में तुमसे मुलाकात जो हो गई!!
नहीं कहती मैं बहुत ज्यादा ख़ामोश ही रहती हूं,
पर अब तुमसे मिलकर जज्बात मेरे बदल गए,
जो दिल में दफन कर रखी थी अब वह जुबां पर आ गए,
खामोशी में भी अब बोलने लगी हूं दिल की बातें अब कहने लगी हूं,
ये बोरिंग सफर भी अब हसीन लगने लगा है,
एक सफर में तुमसे जो मुलाकात हो गया है!!
क्या जुगलबंदी है इस जिंदगी का,
अकेलापन का उसने मरहम भेज दिया है,
एक सफर ने मेरी जिंदगी को कुछ यूं बदल दिया है,
जाने क्यों पहली मुलाकात में एक अपनापन सा आ गया,
नहीं जानती थी तुम कौन हो फिर भी तुम्हारे पीछे मन का डोर चला गया,
चलो पहली मुलाकात को अब आखरी नहीं करते है,
चलो हम दोनों अब दोस्ती की शुरुआत करते हैं!!— % &-
खामोश रहकर सबकी बातें सुन लेती हूं
क्योंकि अब किसी से कुछ कहने का मन नहीं करता है!!— % &-
उनकी नजर कुछ ऐसी थी कि हर कोई को दीवाना कर गई,
हम दिखा तो ऐसे रहे थे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
और उनकी एक झलक पाने को हमारी नजरें तरस रही थी!!— % &-
बहुत हो गई नादानियां, बदमाशियां जिंदगी में
अब मुझे अपने सपनों के लिए जगना है!!— % &-
प्रेम को किसी शब्द की आवश्यकता नहीं, क्योंकि वह भावनाओं से व्यक्त की जाती है!!— % &
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जिंदगी के गर्दिश में खुद को उड़ा रही हूं,
जिंदगी को अब हंसकर गले लगा रही हूं,
शब्द कम पड़ जाते हैं जिंदगी के बारे में बताने को,
पर कुछ शब्दों को मिलाकर चार शब्द बना रही हूं!!— % &-
मेरी मुकद्दर में तुम्हारा नाम नहीं लिखा था,
बस बात इतनी थी,
तुमसे प्यार करना मेरी हाथों में था,
बस मेरी किस्मत में तुम्हारा नाम नहीं छपा था!!— % &-
अब यादों का पिटारा बांध के जिंदगी के फिर पुराने दौर में लौटना है,
जहां जिम्मेदारियों के तले अपनी खुशियों को हर रोज रौंदना है!!-