Anmol Sharma   (Yq@अनमोल)
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Joined 14 December 2019


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30 APR 2023 AT 22:15

मैं खींच लाया कश्ती अपनी किनारे से
मन भर गया था अब जूठे-मूठे सहारे से
जो थे अपने वो इंकार में भी अपने रहे
जो नहीं थे वो इजहार में भी कब हमारे थे,

मैं तो कर रहा था अगुवाई समन्दर की
फिर कहा अब हम लहारों से डरने वाले थे,

हम तो लिख दिया करते है दर्द जिंदगी के
क्या किस्से, क्या कहानी, क्या ही मुशायरे थे,

जो शायरी में वाह-वाह का मजा लिया करते हो,
सुनो, ये सारे कभी रहे जिंदगी के हिस्से हमारे थे।

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4 MAR 2023 AT 9:57

ना दौलत मिली,
ना शौहरत मिली,
ना मिलीगो नाम
ग़र मतलब रख के दिल मे
चाहे जितना जप लो राम।

कोई लड्डू चढ़ाएं
कोई घंटा बंधे
देख देख आडंबर नाचे
करे बंदर से काम,
ऐसे तो मिल सकता नहीं
रुपया पैसा नाम

प्रभु समीप सिर्फ ज्ञान मिले
हो जाए मन शांत
जिस दिन "शून्य" तुम हुए
मिल जाएंगे "राम"।

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29 JUL 2022 AT 10:11


जिसके हसने से हस दूँ मैं
जिसके दर्द से मेरे आंसु आ जाए,
वो एक शख्स ही है जब सब कुछ मेरा
फिर कैसे ये जिंदगी उसके बिन जी जाए ।

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23 JUN 2022 AT 12:54

औरो से सुनी है मैंने दर्द की परिभाषा
उसके उदाहरण में मेरा नाम आता है....

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22 JUN 2022 AT 23:00

मैं अधूरा था तो अपने खालीपन को लिखता था,
अब तुमसे पूरा हुआ हूं तो बस तुममें ही दिखता हूं।

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22 JUN 2022 AT 22:42

हाथ से हाथ का कुछ फासला अभी बाकी है,
कुछ दूर और चलना है, रास्ता अभी बाकी है,
जिंदगी के इस सफर में हर पल साथ का वादा करना है
उनकी इक " हाँ " और एहसासों के वो शब्द सुनना अभी बाकी है ।

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28 APR 2022 AT 18:48

अब और कोई फासले नहीं, बस एक इरादा करना है,
ये जो दुख है, खुशियां है, परेशानियाँ है
सबको आधा-आधा करना है,

वो एक ख्वाब है, जिसको सच करने की चाहत है,
एक शख्स ऐसा है, जो हर मर्ज की दावा है, राहत है,
उससे मिलना है, बाते करनी है, सपनों का साझा करना है

कभी मिलना तो बतायेंगे उसकी शख्सियत,
अब तो उसका होना है उससे होना है उसमे होना है,
बस यही एक वादा करना है।

अब और कोई फासले नहीं, बस एक इरादा करना है,
ये जो दुख है, खुशियां है, परेशानियाँ है
सबको आधा-आधा करना है....

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14 NOV 2021 AT 13:25

मुझको लिखने वाली कलम कहीं खो गयी
मेरी माँ मुझको सुलाते-सुलाते सो गयी,

एक उसको ही खबर थी मेरे अकेलेपन की
वो मेरा हाथ पकड़े-पकड़े कहीं दूर तारों में खो गयी

कभी फिर अकेलापन डराता है तो खुद को समझा लेता हूं
मैं अपने हाथों से अपना सर सहला लेता हूं

तुम बहुत दूर हो और याद आती हो ये दुख भी है
तुम तारों सी चमक रही, बस यही कह के खुद को माना लेता हूं

कोई हो जान पहचान तो सिफारिश लगाओ माँ
मुझको भी जल्दी से अपने पास बुलाओ माँ

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21 SEP 2021 AT 23:22

मेरी अधूरी कहानी ख़तम हो गयी
अब उम्मीद हमारी खतम हो गयी
"माँ" तुम जो यूँ छोड़ गयी अकेला हमको
जीने की तरकीब सारी ख़तम हो गयी।

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19 SEP 2021 AT 18:15

तेरी गली से मोहब्बत भी है और नफरत भी,

यहां मयखाना भी है और तेरा घर भी।

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