नमस्कारं मस्तिष्क तथा शरीर,
विचारों और क्रिया,संयम तथा पूर्णता,
मानव एवं प्रकृति के बीच सद्भाव का समागम है।
यह स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समग्र पहल प्रदान करता है।
” स्वामी विवेकानन्द तो यहां तक कह गए थे कि
जाति, धर्म, राष्ट्र, भाषा, परम्परा आदि सब देश-काल के साथ बदल जाते हैं।
इनमें समन्वय के लिए परिपूरकता लानी पड़ेगी।
“शरीर इस्लाम का हो, आत्मा वेदान्त की।”
क्योंकि मैं धर्म और आध्यात्म की माँ की ओर से हूँ ।
यही हमारी संस्कृति का गौरव है ।-
वाह रे सोशल मीडिया
नमस्कार करने का आजकल एक आया है नया माध्यम
सोशल मीडिया है जिसका दृश्यम
पर जब होता है आमना सामना तो मुँह फेर लेते हैं
हाय रे ये सोशल मीडिया ये कैसे कर लेते हैं
दूर के रिश्ते पैदा हो रहे पास के रिश्तों की कदर नही
दुसरो को लाइक और अपनो को डिस्लाइक कर रहे
सोशल मीडिया की कहानी कहे अपनी जुबानी
पेन पेपर लिखने के अनुभव अब टाइपिंग पे आ गए
वो सुहाने लेटर अब सोशल मीडिया पे छा गए
वाह रे सोशल मीडिया तुम सब को भा गए
घर के चार मेंबर भी अंजान हो गए
पर जो सामने नही है उनसे पहचान हो गयी
बाप रे बाप सोशल मीडिया ये तो हद ही हो गयी
असली चेहरे भी एडिट हो रहे
असली चेहरे अपनी पहचान खो रहे
एडिट चेहरा सामने आये तो पहचान ना पाए
वाह रे सोशल मीडिया के एप
कीप इट अप, कीप इट अप
कहने को बहुत कुछ है, टाइप करते हाथ थक गए
और सोशल मीडिया के बारे में लिखते लिखते
अब हम तो पक गए
इसको जिसने लिया पॉजिटिव वो तर गया
जिसने लिया नेगेटिव वो बिखर गया
-
साजिशें चल रही होंगी उनके दिल में हमें मिटाने की।
कुछ लोग दिखाने के लिए अच्छा व्यवहार करते हैं।।
और... जो लोग नफरत करते हैं हमारी कामयाबी से,
हम उनको दिल से नमस्कार करते हैं।-
सुबह की किरण कुछ याद दिलाती है।
की आप चाहे कितने भी बड़े हो जाये,
बुरा वक्त आया तो लोग भूल जायेंगे।
क्यों कि उगते सूरज को ही लोग सूर्य नमस्कार करते है,
ढलते हुए सूरज को लोग अक्सर तवज्जों नही देते है।-
सूर्य नमस्कार
सुबह की पहली किरणों से
चिड़ियों की ची ची की आवाजों से
हवा की ताजगी से
वो महकती वादियों से
मन की शांति से
रोड पर चलती गाड़ियों कि
धीमी धीमी आवाज से
होती है दिन की शुरुआत
मॉर्निंग वॉकओ से । फिर हो
सूर्य नमस्कार.. सूर्य नमस्कार।
-
चाइना से फैला दुनिया में रोग संक्रमण का जाल है
आँख,नाक,कान,मुँह के ज़रिए करता शरीर में प्रवेश
सर्वप्रथम स्वच्छता अपनाकर करना इसपर प्रहार है
जितना हो सके प्रभावित क्षेत्रों में न करें सफ़र
हाँथ न मिला , अभिवादन में करना नमस्कार है
-
मानव तथा प्रकृति के मध्य सामंजस्य बना रहे ,इसी के लिए अष्टांग योग जैसे सूत्र पतंजलि समान महान ॠषियो ने बनाये।जिसमें यम,नियम और आसन -- हमारे शरीर को नियमित तथा स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं ।प्राणायाम--प्राण ऊर्जा या श्वास को नियमित तथा व्यवस्थित करता है,ध्यान व धारणा हमारे मन,व मस्तिष्क को सही तथा उपयोगी विचारों को ग्रहण करने में सहायक है।समाधि -वह उच्चतम स्थिति है ,जो भौतिकता से दूर करती है वही मोक्ष है।
भारतीय संस्कृति क्रमबद्ध तथा प्राकृतिक रूप से जीना सिखाती है,आयुर्वेद इलाज ही न होकर एक जीवन पद्धति है ।🙏🙏-
Guru se hi sikh hai
Guru se hi gyan
Jo mil jaye guru ka asray
To hr Jeevan uddhar
Happy Guru Purnima-