शांति दे तेरा स्वरूप
मुस्कान तेरा आत्मरूप
विचित्र सी बात तुझमें
हर चित्त की बात
तू समझे
विघ्न को हर ले
लड्डू मोदक तुझे भावे
शिव पार्वती के बीच सुहावे
गणपति है तेरा नाम
लगता है चारों धाम
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सोशल मीडिया
आजकल आम ए खास हो गया
और खास ए आम हो गया
इसका सरताज कोई और नहीं
सोशल मीडिया
इसका बोया बीज
अब अंकुर नही पेड़ हो गया
चकित कर दिया इसके फलों ने
कोई मीठा तो कोई कड़वा हो गया
कोई खट्टा तो कोई तीखा हो गया
मत पूछिए ज्यादा
ये तो ज़्यादातर
कृमियों का डेरा हो गया-
हर उमर का दोस्त
कहते हैं दोस्ती किसी भी उमर के शख़्स से हो तो
अच्छा है
हर उमर का तजुर्बा ही तो
सच्चा है
बच्चे की दोस्ती है बड़ी सच्ची और निर्दोष
छोटी उम्र वालों से दोस्ती बचपना और जीने के शौक
कहते हैं दोस्ती किसी भी उमर के शख़्स से हो तो
अच्छा है
हर उमर का तजुर्बा ही तो
सच्चा है
हमउम्र वालों की दोस्ती हमे दिखाती कुछ अपनी छवि
बड़ों की दोस्ती समझदारी और बड़ी अनुभवी
बुजुर्गों की दोस्ती प्यार की कोठरी
जिंदगी भर के सही गलत फैसलों के
पड़ावों की दिखाती पोटली
तो हे दोस्तों हर उमर का दोस्त हो तो अच्छा है
वो अपने अपने पड़ाव के तजुर्बों में सच्चा है-
रोज रोज नसीहत देने वालों को वो श्रेष्ठता नहीं मिलती जितना कभी कभी देने वालों को मिलती है
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कलयुगी दैत्य
पहले भी युद्व था
आज भी है ,और
आगे भी रहेगा
चाहे वो त्रेतायुग का हो
चाहे वो द्वापर युग का हो
चाहे वो कलयुग का हो
दैत्य हर युग में आयेंगे
न्याय के , सच्चाई के लिए,
सबक सिखाना होगा
चौक्कने होकर ,हिम्मत से , डटकर ,
जाल बिठाना होगा
कलयुगी दैत्यों को मार गिराना होगा
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वसुधैव कुटुंबकम्
युद्ध का फैसला होता है हार जीत का
और बस एक बदले की आग का
पर अक्सर हार जीत के फैसले में
कितने अपने हो जाते है कुर्बान
क्यों प्यारी नहीं लगती है दूसरों की जान
क्यों मानवता होती है तार तार
और इंसानियत की होती है हार
क्यों द्वंद के हालात होते हैं पैदा
क्यों इंसान आज इंसान नहीं
क्यों उसके दिल में अमन और चैन नहीं
क्यों वसुधैव कुटुंबकम् नहीं
क्यों ये भावना खो गयी है कहीं
क्यों एक सच्चा इंसान सो गया है कहीं
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सच का साथ देने वालों को
अंगारों से गुजरना पड़ता है
जिसमें देखने वाले की सिसकियां
और रुदन सुनाई देती हैं
और अपने को घाव जला देता है
शायद ही इस दुनिया में कोई समझ पाता है
और झूठ सिर्फ दोनों हाथों से
हंस कर तालिया बजाता है-
गर पानी है छाया
सुकून ए भरी माया
उदर की भूख मिटाने
निर्दोष वायु के संचार को पाने
पेड़ जिन्दगी की शुरूआत
साथ देता है मरणोपरांत
पर पहले पेड़ लगाना पड़ता है
पर पहले पेड़ लगाना पड़ता हैं-
ये तो
दिल की है उपज
खुश रहने की
है समझ
बस ये तो आनंद है सहज
जो केवल सुखानुभूति की है तरज
जिसका आधार केवल मन
और जिसका प्रभाव केवल
खुशियों का धन
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