मोम पिघलती रही धागे जलते रहे
ऐसे ही कुछ किसी के सीने में हो रहा है दिल जल रहा है पर आंखों से मोम पिघलतीं नहीं दिख रही लगता है मोम को किसी ने डिब्बे में कैद कर दिया है.,.............-
जब लड़की के खिलाफ़ आवाज उठाने कि ओकात रख सकते हो तो लड़की के लिए आवाज उठाने कि इंसानियत भी रख अ इंसान
तु क्यों अपनी बेटी को दबा कर रखना चाहता देंखे किसी के घर का मानें जाने वाला कुलदीपक तेरे घर कि कलीं को नोच रहा है
तुम इंसान जरा लड़की की चाल डाल सें नजर हटा कर जरा अपने लडके पर थोड़ी नजर रख लो कही उसकी नजर किसी के घर की बेटी पर ना हो
हाथ में मोमबत्ती उठाने वालों जरा, अपनी बेटी -बहन कें साथ तों खड़ा तो हो यु मोमबत्ती उठाने की नोबत नहीं आयेगी तुझे-
मेरा तो कण-कण मेरे बस में नही
न रो सकता हूँ न पिघल सकता हूँ बस पत्थर सा बन गया हूँ-
मोमबत्ती की लगन----------🌹🌹✍️✍️
याद है वो पल जब अंधेरा होने पर घर में आवाज लगती थी,,अरे जरा मोमबत्ती ढूंढ लोओ थोड़ा उजाला हो जाए,,------🫥🫥-
मोमबत्ती को पिघलता देख ख्याल आया...की
जो दूसरों के जीवन में रोशनी फेलाते है
खुद का अस्तित्व खो कर खुद अंघेरे मे चले जाते है..
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Log Kaihte Hain Huyi Sham E Firozaa'n Lekin...
Mom Ke Jism Men Dhage Ka Jigar Jalta Hai!-
Koi mombatti hi jala do
Andhera hai dil mein
Mombatti na sahi aag ki chingari hi laga do
Andhera hai dil mein
Koi dil ko roshni mein bitha do-
रौशनी देना इतना आसान काम नहीं
कतरा -कतरा पिघलना पड़ता है मोम की तरह
देव गंगवार
पिघल कर यूँ जाबाँज़ सी,मै तो मै हूँ,
रौशनी देकर यूँ आफताब सी, मै तो मै हूँ,
जिसने रौशन किया उन अंधेरी जिन्दगी को,
उस विश्वास, उस महताब सी मै तो मै हूँ।
दर्द में यूँ मुस्कुराती,मै तो मै हूँ,
जीवन को नया पाठ सिखाती मै तो मै हूँ,
मोम सी पिघलती बाहर से,अंदर से सख्त हूँ,
जो खुशियों मे दुगुना हो जाए वो बहता रक्त हूँ।
रंजीता अशेष
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अगर मोम्बत्ती जलाने से
मासुमो के खिलाफ़ अपराध
कम होता तो आखिरी मोम्बत्ती
'निर्भया' के लिये ही जली होती-
आज एक किराने की दुकान को देखके मन मे गुस्सा उठा कि रेप को सफल बनाने मे चोकलेट और रेप को रोकने मे असफल मोमबत्ती यही से खरीदी जाती है
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