संघर्षशील स्त्री का संघर्ष सोलह श्रृंगार से कही ज्यादा सुंदर होता है
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दुनियाभर में लग रहे जगह जगह मेले है
देखा गया जब हर एक को मन से तो सब के सब अकेले है
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दफन हो गई थी जिंदगी ग़मो के साये में न जाने कब से
कफ़न तो बस लाश ढकने आया था-
न ही मुस्कराहटे है जिंदगी में
न ही सुविचार है
हो गई अब तो ऐसी जिंदगी
जैसे सड़ा हुआ अचार है-
घड़ी घूरती है अक्सर
इसको घूरने वालों को
मेहनत के दीवानों को
या इश्क के बीमारों को
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दिल में ही दबी रह जाती है
अक्सर जो दिल की बातें है
कौन कहता है कि मुस्कराहटे
दिल के हाल बयां करती है-
इश्क उलझ के रह गया
दो दिल के दरमियानो में
जात की बेड़ियों में बंध गया
मंगलसूत्र के कैदखानों में-
बयां नहीं की जाती दिल की हर बात इन शब्दों से,
काश कोई पढ़ पाता इस दिल को
इनकी धड़कनों के लफ्जों से-
लोग कहते है महात्मा गांधी ने देश बाटा था
ये सच है या नही पता नही ?
पर मीडिया महात्मा गांधी की फोटो के लिये हिंदु मुस्लिमो को बाटने मे कोई कसर नही छोड रहा-