दर्द लेता फिर रहा है हर किसी का
मुफ्त में करता है सौदा जिन्दगी का।
उजाले बांटता देखा है सबने इसको
लगाये कौन अंदाजा इसकी तीरगी का ।
हर दम बंधे आंख से आंसू और दिल मे बात कोई
बड़ा मुश्किल ये किरदार,जो है आदमी का ।-
#Men @We can see them well
Men ; We can actually tell a lot about them just by looking at them . That pain, rage,insecurity , vulnerability..They do hide them in those bullet shells .As at the end of the day , this world want them to be a Man ,So invincible in an outwardly pane !-
हमदर्द वो हमारा है
सबसे अपना दर्द छुपाता है
! वो मर्द सबका सहारा है !
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उन्हें रोना तो कभी सिखाया ही नहीं गया,
हर बात खुद तक रखना जैसे मजबूरी बन गई..!
और मुस्कुराते भी तो कैसे मुस्कुराते..?
उनके तो सिर हर जिम्मेदारी चढ़ गई..!-
क्यों ख़ामखां बेवजह सर्द होता है ।
कोई नई बात नही मर जाने पर रंग जर्द होता है ।।
ये जो धुंध ने तस्वीर बनाई थी तेरी तकदीर की..!पहली-पहली बार है, हां ये सब होता है ।।
हरे पत्तों की कश्ती है तेरी रेगिस्तां में ।
आंखें मूंद यहां तूफान में बड़ा ग़र्द होता है ।।
बड़ा बहादुर शेर दिल है हर जंग में खड़ा होता है,
एक वक्त के बाद बतायेगा "हां मर्द को दर्द होता है"
आंखें सुर्ख अंदर गुस्सा लिए सोया बड़े आराम से ,
ठोकर लगने पर भी नहीं उठा ? ऐसा तो बस कब्र में होता है ।।-
आदमी हो तुमसे अपेक्षायें बोहत
सारी है
माना कि आज भी कई जगह
बेबस नारी है,,
पर तुम मर्द हो तुमपे जिम्मेदारी
है
समाज ने तुम्हारा किरदार बखूबी
बताया है,,,
तुम्हे दर्द मिलते है रोज पर ईलाज
कहाँ पाया है
रो नही सकते तुम वेदना पाकर भी,,
कह नही सकते शोषित होकर भी
कहोगे तो लोग क्या कहेंगें
नामर्द का तमगा लगा देंगे
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ग़लत को ग़लत सब लिखते हैं
सही को सही कोई क्यों नही लिखता,
आँसू जो बहें तो नज़्में बन गयी, जिन्हें बहने का
हक़ नही उन आँसूओं पे कोई क्यों नही लिखता,
चार दिवारी की बात तो सब लिखते हैं
दूर शहर की बात कोई क्यों नही लिखता,
जले हाथों पे सब लिखते हैं
घिसें पैरो पर कोई क्यों नही लिखता,
लड़कियों का दर्द सब लिखते हैं
लड़कों पर कोई क्यों नही लिखता..-
Men who show affection on women are all beauty.
HAPPY INTERNATIONAL
MEN'S
DAY-