Anuman   (@Anuman)
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किसी अधुरे ख्वाब की ताबीर बनता जाता हूँ
में,अजीब लगते-लगते अज़ीज़ बनता जाता हूँ
Joined 27 December 2018


किसी अधुरे ख्वाब की ताबीर बनता जाता हूँ
में,अजीब लगते-लगते अज़ीज़ बनता जाता हूँ
Joined 27 December 2018
19 FEB AT 1:40

इस दौलत के जाने से क्या होगा खसारा अपना ?
अलग ब्यापार था !
अलग था बाजारा अपना !
लुटेगा सब पर फांकों पे नही आउंगा,
ग़ुरूर बेच के कर लूंगा गुज़ारा अपना ।

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15 DEC 2023 AT 1:53

हम मुतासिर तो थे तजल्लियों के,मगर
हुआ न मयस्सर तसल्ली तक का सहारा/

जो जलते रहे तो सब ज़ायक़े में थे
जो बुझ गए तो,,मुरदा,,जिक्र भी हमारा/

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28 JUL 2023 AT 16:28

ऐसा नहीं है कि
याद में तड़प नहीं बची /

लबों पे बस अब कोई
तलब नहीं बची /

बची हैं मुझमें बातें
बस दीन दुनिया की /

यार अब वो दिल में क्यों
धड़क नहीं बची ?

सौंपा है अब सारा काम मैने
दिमाग को /

मन में तो अब कोई हवस नहीं बची/

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23 JUL 2023 AT 20:24

तुमने हमारा जवाब न समझा
हाँ हमने भी वो सवाल न समझा /
समझी तुमने सब गलती हमारी
कभी हमारा मलाल न समझा //

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18 JUL 2023 AT 12:53

क्या हुआ जो उस से बात न हुई /
हां पर मेरी बात हुई है //

हाथ मेरा वो न छोड़ेगा /
उसके हाथों से बात हुई है //

उसने मुझको अपना लिया है /
एक बोसे से शुरुआत हुई है //

बेचैन बहुत है वो मेरे बिन /
बिस्तर की सलवटें कहती हैं //

तकिया मुझसे कान में बोला /
बिन मौसम बरसात हुई है //

ये बातें तो कह दूंगा पर,
वो कैसे कह पाऊंगा /

जो वादे रूहानी हो बैठे हैं,
और जो मन से मन की बात हुई है //

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5 APR 2023 AT 22:49

मेरी आंखों में एक तरीके का हुनर है।
मसाला शब्दों का नहीं,ये सलीखे का कुफर है।

वक्त वे वक्त वो मुझे कहता है, लापरवाह
ये वो कहता है जिसकी मुझे ज्यादा फिक्र है ।

मैंने वो सजर ,वो शहर,वो गली छोड़ दी
जिसमें तेरे नाम , तेरे चेहरे ,तेरी आहट का ज़िक्र है

तुझसे जो ली गणित की तालीम ,तो मुझे इल्म हुआ
मेरी जान , मेरे तो चारो सम्त ही शिफर है ।

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15 FEB 2023 AT 1:10

वो मेरे हर्फ़ से न खुश थी
तब मैंने उसपर ग़ज़ल कही /

आई थी मुझपे कहर ढाने
करके मुझपे ​​फ़ज़ल गई //

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11 AUG 2022 AT 18:22

सदियों पहले की बात है ,
सदियों पहले एक ख़्वाब था ।
ख़्वाब मुक्कम्मल भी होते हैं,
यही मुकर्रर सवाल था ।
फिर तू मिली तपाक से,
मैं नींद से जागा झपाक से ।
हां ख़्वाब मुक्कमल होते ज़वाब मय्यास हो गया ,
तेरा हाथ मेरे हाथ में मेरा ख़्वाब मुक्कमल हो गया ।

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7 JAN 2022 AT 21:40

अधूरी निगाहें अधूरे से मंज़र
अधूरे लबों पर सुखन रख रहे हो /

अभी राब्ते में बाकी है धड़कन
क्यों इस पर तुम यूँ कफ़न रख रहे हो //

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25 NOV 2021 AT 9:07

आप,तुम या कि तू कहो मुझे /
बस,,लफ़्ज़ों से और ज़ेहन से हू-ब-हू कहो मुझे //

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