था साथी तेरा घोड़ा चेतक ,
जिसपे तू सवारी करता था,
थी तुझमें कोई ऐसी खास बात,
जो अक़बर तुझसे डरता था
#महाराणा_प्रताप_जयंती-
सूर्य के ताप सा प्रचंड था उसका सिंह सा दहाड़ था
मेरा भारत जिसपर गर्व करें वो महाराणा प्रताप था
उसके रक्त में उबाल था इस भारत का वो लाल था
सत्य की ढाल था खो दिया ये भारत को मलाल था
मुछे और भाले की हुंकार उसके क्रोध का अंजाम था
और चेतक की रफ़्तार दुश्मन के अंत का पैग़ाम था
वो धरती माँ और माँ के चरणों मे शीश झुकाता था
पिता व प्रजा के आदेश को ईश्वर तुल्य बताता था
मेवाड़ी धरती का कण-कण उसको लाल बुलाता था
उसकी तलवार की खनक से दुश्मन भी घबराता था
रक्तटीका चढ़ा मिट्टी को मिट्टी का तिलक लगाता था
महाबली वो महावीर महाराणा प्रताप कहलाता था-
✨ The Lend Of Maharana Pratap ✨
प्रताप की जमीं पे जन्मे हैं,
स्वीकार हमें कोई हार नहीं,
तू अपने ऐतिहासिक गौरव भूल रहा,
क्या ऐसा जीवन तुझे धिक्कार नहीं ??
याद नहीं नवीन पीढ़ी को,
बहलोल वो कैसे चीरा था,
मै थूकूं ऐसी इतिहास पे,
राणा की जिसमें जयकार नहीं...
आत्मा अंतर मेरे बिलख रही,
मानो चीख-चीख वह कहती हैं,
डूब के मर जा अ शायर !
ग़र करें कलम तेरी प्रतिकार नहीं...
अल्फ़ाज़ से काटू तन बैरी का,
हाथ देख तलवार नहीं...
"ARU" की नस-नस में रंग केसरिया दौड़े,
रक्तरंजित सुन किरदार नहीं...
मातृभक्त वो वीर पुरुष स्वाभिमान की इक कहानी हैं,
मेरी लेखनी से जिसका खून न उबला,
तो खून नहीं वो पानी हैं,
क्या फायदा ऐसे तन का युवा !
जिस पे जुनून का हुआ प्रहार नहीं...
प्रताप की जमीं पे जन्मे हैं,
स्वीकार हमें कोई हार नहीं,
तू अपने ऐतिहासिक गौरव भूल रहा,
क्या ऐसा जीवन तुझे धिक्कार नहीं ??
प्रताप की जमीं पे जन्मे हैं 🚩🚩
-Archit Khanna 🎸
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है क्षत्रिय , क्षात्रधर्म पहेचानो
हमारा इतिहास तो पहेचानो।
याद करो चंद्रवंशी राजा शीबी ,
पक्षी की जान के खातिर अपना मांश देदिया।
याद करो महाराणा को,
स्वाभिमान के खातिर घाश की रोटी को खालिया।
याद करो जाम सताजी को ,
क्षात्रधर्म खातिर अकबर के सामने लड़ लिया।
याद करो वीर अभिमन्यु को,
अपनी हार निश्चिंत होने के बाद भी लडलिया।
याद करो वीर शिवाजी को,
स्वराज के खातिर मुघलों के सामने मोर्चा लगादिया।
जय क्षात्रधर्म_🚩
जय महाराणा_🚩-
मातृभूमि की स्वाभिमान के लिए रक्त की अपने बहा दिया।
सींची दी लहू से अपने धरती को खुद को अमर बना दिया।
होंगे वीर बहुत इस दुनिया में और भी , हे राणा ।
पर आपने अपना नाम वीरता से भारतीय दिलो पे लिखा दिया।।
परम् पूजनीय श्री महाराणा प्रताप सिंह जी की जयंती पर उनको सत सत नमन🙏-
जय एकलिंग से गूंजा अम्बर,
रणभेरी ललकार उठी,
गिरे गगन से पुष्प करोड़ो,
जब राणा की तलवार उठी!!
त्याग, बलिदान, अद्भूत साहस और स्वाभिमान के प्रतीक मेवाड़ के महान योद्धा, महापराक्रमी वीर शिरोमणि "महाराणा प्रताप सिंह जी" की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन🙏🙏
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9 मई 1540 को कुंभलगढ़ में जन्मा,
भारत का वीर पुत्र राजपूतों की शान।
राजा उदय सिंह और जयवंती देवी के,
घर का चिराग भारत का सपूत महान।
7 फुट 5 इंच लंबा व 110 किलो वजनी,
अकबर भी रोया था जिसके मृत्यु पर।
अकबर के 80,000 विशाल सेना को,
मात्र 16,000 की सेना से हराया था।
कहते हैं कि महाराणा कभी हारे नहीं,
औरअकबर कभी उनसे जीते नहीं थे।
गर अकबर के महान सेना में दम था,
तो कहीं महाराणा के सीने में दम था।
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हे! देवतुल्य राजपूत शिरोमणि हे! भारत भूषण महावीर
पावन चरणों में शत् शत् नमन हमारा है|
है कौन भला इस जग में जिसने तृण रोटी खाकर भी
इस भरतभूमि निज मातृभूमि का ऋण उतारा है||-
चढ़ चेतक पर तलवार उठा,
करता था भूतल पानी को।
राणा प्रताप सिर काट काट,
करता था सफल जवानी को।-