चलो भूख लगी है खाते है,लिट्टी चोखा अचार प्रिये
हो गया है शाम चलो चलते हैं,पटना के गंगा घाट प्रिये-
आज मैं उस ठेले पर गयी थी,
अकेले...
हाँ, लिट्टी खाने।
पर मन संतुष्ट ना हुआ,
स्वाद भी नहीं लगा।
नहीं,
चाचा ने ही लिट्टी बनायी थी,
मैंने पूछा उनसे!
कुछ लोग तो कह रहे थे,
आज ज्यादा स्वादिष्ट बनी है भइया।
पता नहीं,
मुझे स्वाद क्यूँ नहीं आया?
अचानक!!
चाचा ने पूछा,
आज अकेले आयी हो,
बाबू नहीं आए?
मैं मौन हो गयी।
समझ गयी,
अब स्वाद नहीं आएगा।
ना लिट्टी में,
ना मेरे जीवन में।-
मैं तेरा शनिवार तुम मेरा एतबार बनना
ओ मेरे होने वाले हमसफ़र जब मैं थक कर घर आऊं
तुम मेरे लिए चाय के साथ लिट्टी चोखा तैयार रखना-
डाल लेता हूं मै भी गमछा अपने कंधो पर जब कभी भी वो दिन आती है,
क्या कहूं अपनी वाली के बारे ए दोस्तो जब वो लिट्टी बड़े प्यार से बनाती है-
बबुआ के माई तनिक एने आव
गोहरा में आके अगिया लगाव
अईहे सँझिया बबुआ के मामा
तनी आव एने लिट्टी पकाव !
बोईआम में बा रखल देशी घीउ
भर के कटोरा में कड़कड़ाव
बढ़िया से लिटिया के पकाके
फोड़ के घी त पिआव !
बारी में बरहन बैंगन लागल बावे
गोल गोल चिकन तनी तुड़ लाव
आदी, लहसुन हरीहर मरचा काटs
खूब तेज आज चोखा बनाव !-
भाई अगर तुम बिहार से हो न,
और तुम बाहर जा रहे कहीं हॉस्टल या कहीं भी ,
तब अगर तुम्हारे घर वाले तुमको निमकी ठेकुआ और लिट्टी नही दे तो तुम असली बिहारी नही हो।-
Kon basa hai aankhon me,
Woh litti aur aalu ka chokha, sath me tikhi si chatni
Aur garma garm chay.... ✍✍✍✍-