वो ख़्वाबों के शहर में रहने वाली परी थी-
Faza Saaz
(F.Saaz...✍️)
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कहानियाँ ही सही सब मुबालग़े ही सही
अगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं
~ अहमद फ़राज़
अगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं
~ अहमद फ़राज़
Joined 8 November 2021
27 AUG 2022 AT 1:17
कुछ ख़्वाब झाँक रहे होते हैं मन के दरीचों से,
कुछ ख़्वाब सिसक रहे होते हैं मन की अल्मारियों में बंद,
और हार कर ढह जाते हैं एक वक़्त के बाद,
कुछ ख़्वाब आवारा से फिरते रहते हैं मन के बाग़ीचे में,
जिनका कोई ठौर-ठिकाना नहीं होता,
कुछ ख़्वाब बड़े ही अनमोल होते हैं जो, मन की
खिड़की से निकल कर उड़ ही जाते हैं अपने हिस्से का
आसमाँ चुनने के लिए,
और फिर चुन ही लेते हैं अपने हिस्से का आसमाँ एक दिन।।-
17 JUL 2022 AT 15:28
कुछ ख़्वाहिशें, कुछ ख़्वाब, अधूरे रह गए
मुट्ठी से जैसे रेत फिसलते चले गए
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17 JUL 2022 AT 12:55
हूँ कोई गुमशुदा ख़्वाब सी
कभी भटकती हूँ सहरा में
कभी भटकती हूँ दरिया में
कभी भटकती हूँ ख़लाओं में-
17 JUL 2022 AT 12:48
लड़की है या कोई ख़ूबसूरत सा ख़्वाब है
जो भी हो ये प्यारी सी लड़की लाज़वाब है
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16 JUL 2022 AT 20:31
वक़्त के साथ बहुत कुछ बदल जाता है
हम एक जैसी चीज़ों से उकता जाते हैं-