गुलाब,
अत्यंत सुंदर
होता है।
लेकिन...
हरश्रृंगार की
सादगी,
सुंदरता से,
कहीं ज्यादा
सुंदर,
होती है!!-
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हिन्दी और हिन्दुस्तान 🇮🇳
साहित्य |संस्कृति | संस्कार | स्वतंत्र कलाकार
गुलाब,
अत्यंत सुंदर
होता है।
लेकिन...
हरश्रृंगार की
सादगी,
सुंदरता से,
कहीं ज्यादा
सुंदर,
होती है!!-
सुर्ख लाल रंग के जोड़े मे,
बैठी थी जब तुम सेज पर।
(अनुशीर्षक पढ़िए)-
तुम्हारे शरीर के उभार से,
प्रेम है मेरी ऐयाश आँखों को।
प्रेम है मेरे चित्त को,
तुम्हारे निष्छल मन से।।-
बेशक़ ये आसमाँ अब और हसीन दिखेगा,
हमारे घर का तारा जो इसे रौशन करेगा!-
ज़िन्दगी भर सितम था मुझसे, जिनको'
आज मौत पर मिरे मातम मना रही हैं।-
तुम्हारी' दैनिकी पढ़ रही थी मैं,
हर पन्ने पर मैंने मुझको' पाया।-
मझधार में फँसे नैया को,
अब किनारा नहीं मिलेगा।
सितारों की इस दुनिया में,
130 करोड़ लोगों का चाँद,
अब दुबारा नहीं निकलेगा।-