Apurwa Srivastava   (अपूर्वा_©)
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18🌻
हिन्दी और हिन्दुस्तान 🇮🇳
साहित्य |संस्कृति | संस्कार | स्वतंत्र कलाकार
Joined 24 June 2017


18🌻
हिन्दी और हिन्दुस्तान 🇮🇳
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Joined 24 June 2017
15 SEP 2020 AT 18:26

गुलाब,
अत्यंत सुंदर
होता है।
लेकिन...
हरश्रृंगार की
सादगी,
सुंदरता से,
कहीं ज्यादा
सुंदर,
होती है!!

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2 SEP 2020 AT 22:22

सुर्ख लाल रंग के जोड़े मे,
बैठी थी जब तुम सेज पर।

(अनुशीर्षक पढ़िए)

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29 AUG 2020 AT 14:18

तुम्हारे शरीर के उभार से,
प्रेम है मेरी ऐयाश आँखों को।

प्रेम है मेरे चित्त को,
तुम्हारे निष्छल मन से।।

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23 AUG 2020 AT 20:35

मैं सिंधु //
(अनुशीर्षक पढ़िए)

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19 AUG 2020 AT 23:54

ज़िन्दगी भर सितम था मुझसे, जिनको'
आज मौत पर मिरे मातम मना रही हैं।

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18 AUG 2020 AT 23:07

तुम्हारी' दैनिकी पढ़ रही थी मैं,
हर पन्ने पर मैंने मुझको' पाया।

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17 AUG 2020 AT 12:06

प्रेम पत्र //
(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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16 AUG 2020 AT 12:10

'अटल' इस अंड में
तुम'सा कोई 'सरल' नहीं।

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15 AUG 2020 AT 22:34

मझधार में फँसे नैया को,
अब किनारा नहीं मिलेगा।

सितारों की इस दुनिया में,
130 करोड़ लोगों का चाँद,
अब दुबारा नहीं निकलेगा।

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14 AUG 2020 AT 22:51

ज़िन्दगी को ज़िन्दगी ने सितम' दे रक्खा है।
मौत को बेवज़ह ही हमने ज़ख़म' दे रक्खा है।

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