QUOTES ON #LIFAFA

#lifafa quotes

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2 NOV 2021 AT 22:50

प्रिय धन,
हां जीने के लिए जरूरी हो तुम
हर किसी का सपना,मंजिल हो तुम,लेकिन

हमे तो याद आ रहा है,वो नानी से झगड़ना
आइसक्रीम के बहाने,कुछ सिक्कों को लपकना

नानी के घर से आते समय,मम्मी मामी को लड़ाई
आखिर में हम बच्चों की ही होती थी कमाई😜

वो मिलता हुआ लिफाफा,सबसे बढ़कर होता है
क्योंकि उसमें छुपा उनका प्यार होता है

अच्छे जीवन के लिए तो हर कोई रेस लगा रहा है
लेकिन सच में
हमे तो आज वो यादगार मंजर याद आ रहा है
@tanya

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20 JUL 2019 AT 20:55

Mera khat tune yaqeenan padha hai
Tere haatho me khaali lifaafa dekha

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30 MAY 2019 AT 21:18

अजनबी की गोद में बैठ कर मुझे खत लिखते हैं,
और उम्मीद हमसे वो वफ़ा की करते हैं ।

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16 SEP 2017 AT 21:43

मैं वो गुमनाम सा लिफाफा हूं
जिसमे, तुम ख़त बन के समाए हो!
©agrwalswati


Mai woh gumnaam sa lifafa hun...
Jisme, TUM khat ban ke samaye ho!

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20 JUL 2019 AT 21:14

Mohabbat odhta, bichhata, pehnta h vo
Use badhkar Na mohabbat ka khalifa dekha.

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19 NOV 2019 AT 11:27

तुमने इश्क़ कहा था,
मैने तब सिर्फ तुम्हे देखा था,

मोहब्ब्त में उलझ के
लिफाफे में नाम लिखा था,

लफ्ज़ से बयां फिर भी न हुए
लिफाफे में खाली कागज़ रखा था

पढ़ न पाए तो क्या
लिफाफा हाथ में तो उठाया था,

चूम लेते हुए मोहब्ब्त मेरी
तुझे आंखो ने निहारा था,

आंखो से कहो आगोश में ले मुझे
मैने भी बस यही ख़्वाब देखा था

तुमने इश्क़ कहा था
मैने तब सिर्फ तुम्हे देखा था

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मुझे खुशियां गमों के लिफाफे में क्यों मिलती हैं
तंगहाली रोज़ाना इज़ाफे में क्यों मिलती हैं
कौन बता रहा है आखिर गमों के डाकिए को मेरा पता
ये गम भरी चिट्ठियां मेरे ही काफे में क्यों मिलती है

मूल तो चुकाया नहीं ब्याज़ पर भी ब्याज़ दिए जा रहा हूं फिर भी
दर्द और लोगो की बेरुखी ही मुझे मुनाफे में क्यों मिलती हैं
लोगो को मेरी तड़प का कोई अहसास क्यों नही होता
इंसान हूं मैं भी हर दुआ खुदा से मुझे मुराफे में क्यों मिलती हैं

मुराफा* छोटी से बड़ी अदालत में की हुई अपील
काफा* जिंदगी/संसार
नितिन ओम सारस्वत

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9 NOV 2017 AT 9:04

Khwahishon k satranggi lifafon ko
Manjilo tak pahuchna h... agar...
To..Waqt ki chal ko samjh kar hi ..
Pura karna apna ye suhana jindagi
Ka safar...❤❤

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27 APR 2019 AT 17:58

ठीक उस खाली लिफ़ाफ़े की तरह होते हैं कुछ रिश्ते,
जिनके भीतर कुछ भी नहीं होता पर हम उन्हें संभाल कर रखते हैं।

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4 NOV 2019 AT 9:10

खुद को मोहब्ब्त में इस कदर आजमाया है,
महबूब के नाम से खुद को जो भेजा था खत,
ठिकाना सही पर यहां तुम नहीं रहते
आज कासिद ने यह कह कर लौटाया है,

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