I think I caught a whiff of you
on poems and some quotes.
Knowingly or unknowingly
where one shares or reads some notes.
I know that you do miss me too
and still refrain to touch.
Those bonds which are so new
to you dissauding you so much.
I know that your hands still churn
some poems spontaneously .
Won't you then not share those
works with me delightfully.
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Versatility is my Forte
Writing in हिंदी & English
Spontaneous writer.
🎂 25oct read more
मैं तो अब हैरत-ज़दा हूँ
क्यूँ मैं इतना सोचता हूँ
दुश्मनी है आदमी से
आदमी से फँस चुका हूँ
क़त्ल भी मेरा करेंगे
ज़ुल्म जो सहता रहा हूँ
वो बने नुक़सान मेरा
मैं तो उनका फायदा हूँ
क्या करेंगे वो मुहब्बत
मै तो उसकी इन्तेहा हूँ
वो कोई बहती ग़ज़ल है
मैं महज़ एक काफ़िया हूँ-
answer it with caution.
Not every love professed
realises in the long run.-
मिलना जो इत्तेफ़ाक था अपने नसीब मे
ग़लती हमारी ये हुई दिल भी लगा लिया-
in life makes one nostalgic and eager to mend broken ties.
Will you not, then, stop and think about what we lost during this pause?-
है उसकी मुहब्बत,
ग़ैर के अब पास
है उसकी मुहब्बत.
औरों ने तो
की होगी बस दिल्लगी
मेरे लिए तो खास है
उसकी मुहब्बत
-
खुशी कोई मेरे दिल मे नहीं है
की मेरी जिंदगी से कब बनी है
मेरी आँखों से कोई आ के कह दे
न बह के जंच रही तुझपे हंसी है
मुसलसल मैं कहीं फंसता रहा हू
क्या मेरे पाँव के नीचे ज़मी है?
ना भाई है बहन और ना ही अपने
बचे है जो वो कितने नुक्ता-चीं है
मेरे मसले को कोई क्यूँ ही समझे
सभी दुनिया मे आखिर मतलबी है
कोई सपना मुझे आता नहीं अब
जगा कर रात मुझको हँस रही है
जिन्हें दुनिया की लालच ने फंसाया
उन्हीं के वास्ते सब कुछ यहीं है-
तुम ना अकेले घुमा करो
चुपके चुपके रातों दिन
तन्हाई भी सहा करो
प्यार मुहब्बत से नफ़रत
कोई दुश्मन चुना करो
क्या रखा है जीने मे
दम ए आख़िर भरा करो-