Bhai bankar apni fikra to jata di
Hume behan smjhkar thoda Reham to kar jate
Hum wainse bhi kush nahi the
Kam se kam humari jhonti hansi
Ko to choad jate
Taras aata hai hume
Aap logon ki soch par
Sari bandisen hum ladkiyon ke liye
Are fikra etni hi thi to
Us waqt to aa jate jab aapki behan
Aapko pukar Rahi thi-
उन्होंने बयाँ किया, कुछ अल्फ़ाज़ों को अपने....
पहले तो लगा कि शायद , मै देख रही हूँ सपने....
क्यूँ ना इनकी बातों को , इस दिल को समझाया जाए...
माना कि ना देखा तुझे, फिर भी अँखियों मे बसाया जाए....
ना देखा मैंने तुझे कभी , और ना ही तूने दीदार किया...
तेरे इन्ही अल्फ़ाज़ों से, ना जाने मैंने कब प्यार किया...
कुछ दिन बाद मेरे यारों, ना जाने कैसा अफ़साना हुआ....
मै क्या कहती?उनका यारों, ना जाने कितनो से याराना हुआ...
"गर तोड़ना ही था, तो थोड़ा सलीके से तोड़ते....
सुनो! वो टूटे टुकड़े मेरे , शायद तेरे काम ही आ जाते"....
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ये"ज़िन्दगी"हर रोज अपना एक नया राग सुना जाती है !!
ये समझ मे तो नही आती पर बहुत कुछ समझा जाती है।।-
आप लोगो की बात करते हैं
अरे यहाँ तो
वक़्त के साथ वक़्त ही बदल जाता हैं !!!-
कभी इतने करीब थे तुम मेरे कि सही को भी नजर-अंदाज कर दिया,
अब ये शाम रूलाती है लगता है कि गलत लोगो पे वक्त बर्बाद कर दिया !!
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जहर ये इश्क़ का इतना धीमा है,
इससे हमें मौत तो नहीं आती दिन में दौरे ,
कई दफा आते है..!!
बस तड़पाना ही क्यों जानता है ये इश्क़,
इससे हम मर क्यों नहीं जाते है..!!-
हुक्म दिया मेरे मेहबूब ने ऋषिका भूल जाओ मुझे,
पर उनको कैसे कहूँ अभी जीना है मरना नही मुझे..!!-
एक तेरे मिलने पर मैने मेरी मोहब्बत में हमेशा वफ़ादारी रखी,
एक तु है जिसने मोहब्बत में जाने कितनों से यारी रखी।-
अपने हालत से समझौता तो कर लूँ मैं,
पर वो एक शख्स जो मेरी रूह में बसा है,
मैं उससे दूर कैसे हो पाऊँगी ।-