QUOTES ON #KUCH

#kuch quotes

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1 DEC 2019 AT 18:34

Bhai bankar apni fikra to jata di
Hume behan smjhkar thoda Reham to kar jate
Hum wainse bhi kush nahi the
Kam se kam humari jhonti hansi
Ko to choad jate
Taras aata hai hume
Aap logon ki soch par
Sari bandisen hum ladkiyon ke liye
Are fikra etni hi thi to
Us waqt to aa jate jab aapki behan
Aapko pukar Rahi thi

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9 MAY 2020 AT 13:28

उन्होंने बयाँ किया, कुछ अल्फ़ाज़ों को अपने....
पहले तो लगा कि शायद , मै देख रही हूँ सपने....

क्यूँ ना इनकी बातों को , इस दिल को समझाया जाए...
माना कि ना देखा तुझे, फिर भी अँखियों मे बसाया जाए....

ना देखा मैंने तुझे कभी , और ना ही तूने दीदार किया...
तेरे इन्ही अल्फ़ाज़ों से, ना जाने मैंने कब प्यार किया...

कुछ दिन बाद मेरे यारों, ना जाने कैसा अफ़साना हुआ....
मै क्या कहती?उनका यारों, ना जाने कितनो से याराना हुआ...


"गर तोड़ना ही था, तो थोड़ा सलीके से तोड़ते....
सुनो! वो टूटे टुकड़े मेरे , शायद तेरे काम ही आ जाते"....


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24 OCT 2020 AT 11:22

आप लोगो की बात करते हैं
अरे यहाँ तो
वक़्त के साथ वक़्त ही बदल जाता हैं !!!

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25 JUL 2019 AT 13:08

तू अगर सुबह है
तो मै शाम हूं,

तू मेरी राधा है
मै तेरा श्याम हूं,

तू अगर बंसी की धुन है
तो मैं तेरा अल्फ़ाज़ हूं,

तू है मोह की रानी
मै तेरे सर का ताज हूं,

तू अगर है प्रेम की धारा
मै तेरा कोमल प्रीत हूं,

तू अगर है मनमोहक वर्षा
मै तेरे प्रेम का संगीत हूं।।।

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16 MAY 2020 AT 23:38

कभी इतने करीब थे तुम मेरे कि सही को भी नजर-अंदाज कर दिया,
अब ये शाम रूलाती है लगता है कि गलत लोगो पे वक्त बर्बाद कर दिया !!


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23 JUL 2020 AT 10:47

कुछ लोग समय के साथ अपना रंग और औकात दिखा ही देते हैं|

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7 JUN 2020 AT 18:51

खुद की सारी खुशियों से भी परे इक नया जहां बनाया
तोड़ कर खिले फूलों से नहीं मगर राहों को प्यारा सजाया,
बड़े सुकून का था वो पल मेरी नई ख्वाहिशों के,
अफसानों के मुलाकात ने चाहतों के नए आरज़ू से मिलाया,

खामोशियों की इस सुकून ने इक अलग जहां दिखाया
बंधी जंजीरों में थे पहले इस हकीक़त से रूबरू कराया,
आंखों पे पट्टी बांध हम यूहीं ज़ी रहे थे कब से,
बंजर ज़मीन को यूहीं जोत रहे इन नज़रों को दिखाया,

लिखे किताबों के उन अल्फाजों में ये मसरूफ़ सा था
हर पन्नों में खुद के उलझे सवालों को यूं ढूंढ रहा था,
ये वक़्त भी हर वक़्त नज़रें लगाए बैठा था हम पर
किसी रोज़ कहीं गुम होंगे कभी,इसे ये भी मालूम सा था,

मैंने खुली हवाओं से इक नया रिश्ता सा बांधा हैं
ये साथ दे हर वक़्त मेरा बस इनसे यही मांगा हैं,


_@RITIK GUPTA




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19 APR 2020 AT 11:22

कुछ लोग पास बुलाकर ,
फिर दूर कर देते हैं...!
न चाहते हुए मुझे लिखने पर
मजबूर कर देते हैं...!!

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29 APR 2019 AT 21:49

जो नादानीयों में मज़ा है
वो सयाने होने में कहा है
मन मानता नहीं
मनमानी कर बैठते है
आपके खातिर

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9 NOV 2020 AT 20:19

चलो,छोड़ो,अब जाने भी दो....
आगे से हटो,और हवा आने दो।
कहां चले रुको, कुछ देर और ठहरो...
वो आ रही है,उसे आने दो।

-rajdhar dubey

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