पहले इश्क के नाम पर
जिस्म और रूह तक दबोच डाली
फिर महाज्ञानी कहते हैं
शादी तो रिति रिवाजों से होती है
सब कुछ तबाह करने के बाद फिर कहते हैं
चार दिवारी के रिश्ते तो बैमाने होते है
अरे जिसने निभाना होता है वो निभा लेते हैं
चार दिवारी के रिश्ते हों रिती रिवाजों के हो
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चल किसी दरगाह पे मिले
या कहे तो चाय पे मिले
हकीकत न सही यार मेरे
चल किसी अफवाह से मिले
मैं ख्वाहिशें मार के आऊंगी
तू भी जरा खामाखाँ से मिले
कहीं तो मिल कभी तो मिल
यूँ जैसे जमीं आसमाँ से मिले।
-Bibhu Bibhu
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मांगी होंगी दुआऐं लोगो ने
तुझे मुझसे अलग करने की
पर मेरे दिल से तो तुझे
अब खुदा भी नही निकाल सकता
कभी कभी का न समझना
ये रोज का ही मेरा हाल है
बेशक तुझसे झगड़ा हुआ हो
पर दिल मे तेरा ख़्याल है।
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नियत साफ रख
रूतबा भी बढ़ेगा और औकात भी
सोच बड़ी रख
वक्त भी बदलेगा और हालात भी
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हर कोई खुद को सही साबित करने मे लगा है
जैसे हर कोई यहाँ गुनाहगार है
जैसे भी हो जी लो अपनी मोज मे
दूसरों की परवाह किसी को भी नही यार है
ज़िन्दगी जैसी भी है जी लो
माना कि ये सजा है पर खुशियों की हक़दार है।
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तो आना अब ख्वाबों मे
हकीकत मे नामुमकिन है!
पर आना जरूर और सीने से लगाना
कुछ न कहना बस बाहों को फैलाना
सदियों से जागी है आँखे ये मेरी
इन्हे खामोश लोरी सुना के सुलाना ।-
तेरे बिना भी बहुत कुछ है दुनिया मे
जो जीने के लिए सबके हिसाब से काफी है
पर ये दिल मेरा सिर्फ तेरा है शायद
मेरी ख़िलाफत मे बन बैठा बागी है
तूने मजाक मे शायद माँग भरी थी मेरी
पर मेरे लिए वो हकीकत की शादी है
मैं सुहागन हूँ अब तेरे नाम की
तेरे नाम पर मरना भी अभी बाकी है
मेरे नखरे न उठाए गए तुझसे सनम
बता मेरी अर्थी उठाने को तू राजी है।।
-Bibhu Bibhu
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कई बार ज़िन्दगी से शिकायतें ख़त्म कर
ज़िन्दगी जैसी है
वैसी ही स्वीकार कर लेना बेहतर होता है
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कितने ही रंग हैं इस दुनिया मे
एक से अनेक तरह के!
पर सबसे गहरा रंग है इश्क़ का
ये जिसपे चढ़ जाए फिर कभी उतर न पाए
ये रंग और भी गहरा हो जाए
जब "श्री" "मिश्री" के बालो मे फूल लगाए ।
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