अंधियारे को छोड़ दिया मैंने वो कितना भद्दा दिखाई देता है,
लेकिन मेरा चांद भी तो अंधियारे में ही दिखाई देता है।
रातें बहुत तकलीफ में गुजरती हैं ऐसा मैं नहीं लोग बोलते हैं,
वो सुकून,ख्वाब, एहसास सब तो रातों में ही दिखाई देता है।
मैंने हटा दी उसकी सारी तस्वीरें अपने दीवारों से,
अब वो शख्स मुझे मेरी आंखों के सामने दिखाई देता है।
मैं दुआएं दूं कलमा पढूं या इबादत करूं,
उसके सामने सब बेअसर दिखाई देता है।
मुझे लगा की कभी गुम नहीं होगा मेरा चांद,
मैं भूल गया की उजाले में सब कुछ दिखाई देता है।
अब पर्दा हटाने की बात नहीं करेगा "राज" तुमसे,
पर्दा रहते हुए भी मुझे सब बेपर्दा दिखाई देता है।
-rajdhar dubey
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You can't explain me because I am limitless...
😊Proud to be an Indian 🇮🇳
12th Aug... read more
दिल जलाया है तो चिता भी जला देना
कफ़न ना मिले तो दुपट्टा ओढ़ा देना,
कोई पूछे कि क्या हो गया था तो मुहब्बत बता देना।
-rajdhar dubey-
हम आसमां में देखेंगे,फिर कुछ सितारे मिलेंगे,
अनजान राहों पर कुछ अजनबी तो कुछ हमारे मिलेंगे।
हम चलेंगे कभी सैर पर समंदर के किनारे,
कभी झुकी नजरें तो कभी दिलकश नजारे मिलेंगे।
तुम हाथ रखना मेरे हाथों पर बेबात की बात पर,
हम खड़े के खड़े वहीं तुम्हारे सामने मिलेंगे।
तुम बात जब भी करना सहूलियत पर राही,
हम कंधे से कंधा मिलाते तुम्हारे सहारे मिलेंगे।
तुम आना मेरे ख्वाबों में एक शहजादी की तरह,
हम सितारों की भीड़ से चमकते सितारे मिलेंगे।
अगर मुखातिब हो जंग तुमसे कभी,
हम मरे बाजुओं में तुम्हारे मिलेंगे।।
-rajdhar dubey
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कभी कभी वो चोट मुझे पुरानी दे जाता है,
यादें वही की वही पर रूहानी दे जाता है।
वो एक रोज आता है,छूकर चला जाता है मुझे,
और फिर एक जख्म मुझे वो जिस्मानी दे जाता है।
-rajdhar dubey-
पकड़कर हाथ उसका मैं मगरुर हो गया,
नजर से पिया इश्क को और सुरूर हो गया।
ना जाने कौन सा जादू है उसकी बाहों में,
लिपटकर रो लिया और मशहूर हो गया।
-rajdhar dubey-
जो कुछ हुआ वो हमारे अख्तियार में कहां था,
किस्सा उनका हमारी कहानी के सार में कहां था।
हम छोड़ कर उनको वही अपनी मंजिल पर चले आए,
हमारा वापस आना उनके इंतजार में कहां था।
इस दफा वो मुकदमा दर्ज करते रहे मेरे नाम की,
मेरे खिलाफ हर फैसले पर उसको एतराज कहां था।
जज जब सजा देने लगा मुझे अदालत में,
वो मेरे गवाह के इंतजार में कहां था।
चलो मान लिया तुम मुंतजिर थे मेरे उस वक्त,
थोड़ा मुझे भी समझते,ये मेरे ख्वाब में कहां था।
"राज" बहुत गलतियां ढूंढते हैं लोग तुम्हारे अंदर,
जरा बताओ उन्हें की इंसानों में भगवान कहां था।
-rajdhar dubey
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कुछ खाली तो कुछ भरा सा हूं,जितना भी हूं उतना खरा सा हूं।
तकलीफों में अक्सर याद किया करते हैं लोग,
कभी दरिया में बहता पानी तो कभी बहती हवाओं सा हूं।
-rajdhar dubey-
खैरियत में दुआ नहीं मिलती,
मांगने से हुकूक नहीं मिलती,
लोग कहते हैं इश्क एक बीमारी है,
तो मेडिकल स्टोर पर इसकी दवा क्यों नहीं मिलती।
-rajdhar dubey-
ये गुजारिश है तिरी से,मुझसे खता क्या हुई,
तू रूठी थी मगर मुझसे बताकर.. क्या हुई?
पहले रूठना तुम्हारा मुझसे बताकर हुआ करता था,
अब तो बता दो जान ये रूठने की कला क्या मुझसे ही शुरू हुई।
-rajdhar dubey
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मैं बुरा हूं या ख्यालात मेरे, इतने बुरे तो नहीं जज्बात मेरे।
अगर यकीन नहीं मुझपर, तो फिर देख लो थोड़ी दूर चलकर साथ मेरे।।
-rajdhar dubey-