जी तो रही हूँ जिंदगी
आँखों में कुछ नमी सी है
किस चीज की करूँ तमन्ना
जो हर फ़क़त तेरी कमी सी है-
Kore kagaz pe to aasani se likha ja sakta hai...
Magar likhe huye kagaz pe kaise likhu...-
🌹🌹❤ साथी ❤🌹🌹
अक्सर लोग कहते है कि मुझे प्यार पर भरोसा नहीं है।
प्यार शब्द से भी हमे नफ़रत होती है।
तो सुनो प्यार क्या होता है🎉✏💖
-----------------------------
जो तुम्हारी फ़िक्र करें हर बात में तुम्हारी जिक्र करें ।
आंसू आने से पहले तुम्हारी दर्द को समझ ले।
तुम्हारी भविष्य के बारे में सोचे और वर्तमान में साथ रहे।
हर गलती को रोके और कमी पर गौर करें।
मन में उठ रहे सवाल को उसको हल करने की कोशिश करें ।
और मेरी हर कमी पर अपना समझ कर मुझे डाते।
प्यार वह नहीं जो हमेशा आपके साथ रहे ।
प्यार तो वह भी जो दूर हो पर दिल के पास हो।
एक मीठा सा ऐहसास हो।
कभी ना मिटना वाला ऐसा प्यास हो।
-
शायद बहुत ज्यादा हमने
प्रकृति को नाराज कर
दिया है साहेब अब वो
मानने को राजी ही नही
हो रही
-
वो पलंग
जो उसके कमरे की
शोभा बढाए हुए है
उस में कैद हैं अंगिनत कहानियाँ
जिस में बाँध के
उसकी माँ ने दिया था प्यार उमर
भर का।
और उस से मिलता-झुलता एक
ड्रेसिंग टेबल भी है
जो मैंने सुना है उसकी
शादी कि उमर का है
जब वह उस में देखकर
अपने बाल संवारती होगी तब
क्या देखती होगी
अपनी माँ सी आँखे या
अपने पिता से केश।
अब जो हमें वह टेबल
पुरात्तव विभाग की सौगात
लगने लगा है सुना है किसी
ज़माने में रिश्तेदार उसे देख कर
भोंचक्के रह जाते थे।
उसकी लक्कड़ में खुशबू है
माँ के माईके की।
पर अब तो धूप में पडा़ वह
अपनी साँसे गिन रहा है।
अब तो वह उसमें देखने वाले के
चहरे पर भी बस झुर्रियाँ ही दिखाता है।
-
हमारा एक जगह रहने का कोई ठिकाना नहीं
हम वो परिंदें है जिसका कोई आशियाना नहीं,
घर की ज़रूरतों के लिए हम भटक रहे दर-ब-दर
परदेश से घर पहुंचने का हमारा कोई पैमाना नहीं,
बच्चे, पत्नी और बूढ़े माँ बाप के लिए है समर्पित
हमारे बलिदान का यहाँ लिखा कोई फ़साना नहीं,
इतना कठोर बना दिया हमें इस ज़िम्मेदारियों ने
ये ज़िन्दगी कहती है हमेशा कोई मुस्कुराना नही,
हमारे इंतज़ार में ये गाँव की गलियाँ भी कहती हैं
परदेश जाके मिट्टी की सुगंध कोई भूल जाना नहीं।-
What a priceless gift for my🎂
Appreciate the day to post :)
God Bless You Always 🙌 😇-
हमने देखी है ज़माने मे ज़हालत इतनी।
लोग भूखे और पत्थर को खिलाया जाता हैं ।
कितने मासूमो कि भूख-प्यास से जान गई।
और देखो नालीयों मे दूध बहाया जाता है।
ये सर्द कितने मजलूमों पर कहर ढाती होगी।
और मजारों पर चादर चढ़ाया जाता है।
ये कैसी है नेकी और तेरी कैसी इबादत है।
किसी घर मे हजारों मोमबत्तियां जलाते हो।
और किसी को बस एक चराग कि चाहत हैं।
खुश तभी होंगे हम सब से रब्ब-ए-आलमीन।
जब हम देंगे उन के बन्दो को दिली तस्कीन।
-
झुका के नज़रे प्यार का
इज़हार करती हो...
बस इन्हीं अदाओं से
मुझे तार-तार करती हो...-
बंदिशों में सज रहा हूँ देख लो तुम ,
वक्त का गुलज़ार होना बाकी है।
कर्म के अंगार पर तो चल रहा ,
हर गमों से पार होना बाकी है ॥
-