एक दौर था जब आपको बिना बात किये नींद नहीं आया करती थी,ताज्जुब है समस्याएं उस वक़्त भी थी।
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It's impossible to find a person who is perfectly fit to your wish list but it's possible to make a person fit to your wish list by making yourself fit to his/her wish list and also by loving him/her unconditionally...
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कितना अद्भुत है ना हमारा ये प्रेम
बहुत अलग परंतु एक दूसरे का सम्पूरक
मैं ज़मीन तुम आसमा
मैं क्रोध और तुम क्षमा
मैं तुम्हारी एक दबी इच्छा
और तुम मेरी सबसे बड़ी जिद हो।
मैं तुम्हारे लिए हर हार में भी जीत
और तुम मेरे लिए सिर्फ जीत हो।
इस प्रेम दीप के तुम वायु और
मैं प्रकाशित ज्योति हूँ।
तुम्हारा प्रेम सागर सा धीर शांत
मैं नदियों सी प्रेम हिलोरती हूँ।
तुम्हारा प्रेम पूजा की असीम शांति
मैं जप तप और पाठ हूँ।
तुम दूर होकर भी पास हो
मैं पास होकर ही साथ हूँ।
तुम भोर के शीतल मंद वात मैं तीव्र दोपहरी आँधी हूँ।
मेरी आवाज से तुम सोए हो और मैं एक आवाज के लिए रात रात जगी हूँ
प्रेम युद्ध सा जीवन हमारा दोनों की अलग ही बाजी है।
तुम्हारा प्रेम पर सर्वस्व समर्पण है और मेरा प्रेम लक्ष्य मात्र शादी है।-
मेरे विचार
सात वचनों की साक्ष बनी उस अग्नि में जब हम किसी के साथ किये लाखों वचनों की आहुति दे रहे है तो क्या हम कभी सच्चे जीवनसाथी कहलाने के लायक है??
हम गुनहगार है। क्योंकि हम ने सब के साथ गुनाह किया।
परिवार के साथ गुनाह की उनको बिना बताये उनके मर्ज़ी के बिना किसी के साथ रिश्ता रखा।
क्या हमारा समाज यही कहता है कि माता पिता के बिना मर्ज़ी हम किसी के साथ रिश्ता रखें।और शादी करते वक़्त उनके मर्ज़ी का ख़्याल रखें।
उस व्यक्ति के साथ गुनाह जिसने हमारे बातों में आकर अपने आप को हम पर निर्भर कर दिया और हमने उसको ऐसे अंधेर में डाल दिया।आपके ऐसा करने से वो कभी किसी पर विश्वास नहीं कर पाएगा।
और गुनाह उस व्यक्ति के साथ जिसको आज अपना सर्वस्व अर्पण करने जा रहे लेकिन मन कर्म और वचन से उसका अब तक इंतजार ना कर सके।
तो रिश्तों को तभी बनाना चाहिए जब निभा सकें।
अगर आपको arrange marriage करना है तो किसी के साथ शादी करने का वादा मत करो और अगर प्यार और वादा किया है तो मंजिल love marriage ही होनी चाहिए। कृपया अपने निजी स्वार्थ के लिए प्यार और शादी जैसे पवित्र शब्दों को शर्मसार मत कीजिये।
खुद मिट जाइये लेकिन अपने रिश्तों को मत मिटने दीजिये।-
शीर्षक-मैं आज आवाज उठाऊंगी।
इस सृष्टि के हर न्यायलय तक,
शंकर के हिमालय तक
इस देश की हर एक नेता तक,
भगवन विश्व विजेता तक,
हर न्यायी व्यक्ति तक जाउंगी-२
मैं आज आवाज उठाउँगी-२
(पूरी कविता के लिए profile पर दिए link पर click करके हमारे youtube channel पर आए।)
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अपने चाँद की चाँदनी नहीं मैं रात रहूँ।
आऊँ जाऊं संघ तुम्हारे साथ रहूँ।
गर थक जाओ आगोश में तुझे भर लुँगी
जग में अंधेरा कर तुझे दामन में रख लुंगी।
आधा तू तो आधा मैं,
तेरा थोड़ा काम करूँ।
मेरे अस्तित्व को जोड़कर तुझसे,
खुद को तेरे नाम करूँ।
जब तक तेरा नाम हो तब तक ज्ञात रहूँ।
अपने चाँद की चाँदनी नही मैं रात रहूँ।
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