बनाकर सिरमौर सजाया है उसने
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जन्मतिथि...25th नवम्बर, 1960
© सूक्तियों की क... read more
इश्क़ में हसीं अनबन भी हो जाना ज़रूरी है,
मगर वो रूठना- मनाना, ख़ुद मान जाना भी ज़रूरी है
हमेशा जीत के ही हम इश्क़ में नहीं कायल -
कभी थोड़ा सा ख़ुद को हार जाना भी ज़रूरी है।-
हवायें सर्द हैं मौसम घुटा घुटा क्यों है
हर आदमी ख़ुद से ख़फ़ा ख़फ़ा क्यों है
है उनका दावा अब हर तरफ़ ख़ुशहाली
तमाम क़ाफ़िला लेकिन लुटा लुटा क्यों है
हर एक शख़्स तो ज़ाहिर में एक लगता है
मगर वो ख़ुद के ही अंदर बटा बटा क्यों है
किताब-ए-जिंदगी कोई पढ़े तो कैसे पढ़े
कहीं लिखा कहीं कुछ मिटा मिटा क्यों है
ये बात तुम को कभी वक़्त ही बतायेगा
'तलब' सब में रहकर भी जुदा जुदा क्यों है-
मय्यत को कांधा देने का जज़्बा नहीं रहा
रस्मन ही दो लफ़्ज़ कहे और खिसक गये-
रस्म-ए-आम है मयस्सर उजालों को तो चरागाँ
वक़्त की माँग है मुफ़लिस का हो चिराग़ फ़रोजाँ-
नहीं कुछ वक़्त लगता सात फेरों के तवाफ़ में
सफ़र में हमसफ़र बनने में ही वक़्त लगता है-
यह शरफ़ फूल को ही हासिल है
वरना हंसता है कौन ख़ारों में
( शरफ़ = सम्मान, महानता )-
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि 😭 गौरव बेटा
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हमारे बाद हर एक आँख में नमी होगी,
ज़रूर आपको महसूस कुछ कमी होगी,
हवायें इसको बुझा देंगी एक दिन लेकिन -
यही चिराग़ जलेगा तो रोशनी होगी।-
प्रियतम देखो तो प्यार हमारा रंग लाया है
नन्हा शिशु जीवन में ढेरों खुशियाँ लाया है-