QUOTES ON #KIRAN

#kiran quotes

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18 NOV 2024 AT 21:22

Mummy

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4 SEP 2020 AT 8:39

बहुत इतरा रही है ज़िंदगी
अपनी तेज रफ़्तार पे
पल भर की सांस हमने जो रोकी
तो वज़ूद ही मिट जायेगा....!! 🌷

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8 AUG 2020 AT 21:36

कुछ इस कदर हालात ने
ख़ुद से ज़ुदा किया
कि तमाम उम्र ख़ुद ही
ख़ुद को याद आते रहे....

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7 DEC 2024 AT 9:06

भोर में पलकें उठाकर जब रोशनी ले रवि चला।
अठखेलियां शब्दों की करता, कलम ले ये कवि चला।

आगाज़ है तू उस सुबह का, जिसमें सारे रंग हैं।
खुशबुएं सारे जहां की, डोलती संग - संग हैं।

तू ख़्वाब है, इक आब है, जग तेरे लिए बेताब है।
तुझको खुद की क्या ख़बर? तेरे अधरों में दोआब है।

इतना सा बस मैंने कहा था, आंखों में आँखें डालकर।
वो किरन शर्मा के बोली, होश को संभालकर।

जादूगरी शब्दों की तेरे, दूर तक ले जाऊंगी।
आज ढल जाऊं भी 'अंजन', तो कल इसी पल आऊंगी।

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20 SEP 2020 AT 23:15

मेरी गहराइयों को न मापो, क्योंकि में कोई दरिया नहीं सूरज की किरण हूँ।

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15 JUN 2021 AT 19:20

तेरे बिन, कटे ना दिन
तू है मेरी, सुबह की, पहली किरण
मुस्कुराहट वो तेरी, है ऐसी
जैसे सुबह, बूँदें गिरें, ओंस के जैसी
लहराए तू, जब अपनी लटों को
जैसे काली घटाएँ, घनघोर हो यूँ बरसती
तेरे बिन, कटे ना दिन 🎸🎶

तेरे होंठों, की वो लाली
जैसे, शाम ढलती हो, कोई मतवाली
सूर्ख लबों पे, तेरे जो है खामोशी
जैसे, चाँद को भी, हो रही हो मदहोशी
वो तेरी बातें, जब कहती हो तुम
लगती हैं कानों में, हो रही हो सरगोशी
तेरे बिन, कटे ना दिन 🎸🎶

वो पलकों का, तेरा झपकाना
जैसे, उड़ती तितलीयों का, पंख फैलाना
वो तेरे चेहरे का मंजर, यूँ ख़्वाबों में मेरे आना
दीदार को तरसते तेरे, आँखें यूही भीग जाना
यादों का सागर, जब तेरी, यूँ उमड़ आना
देता नहीं, सोने मुझे, नींदों का है उड़ जाना
तेरे बिन, कटे ना दिन
तू है मेरी, सुबह की, पहली किरण 🎸🎶
Sun💕L ⭐An🎵Prerna🖋️⭐

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16 MAY 2020 AT 8:04

हार में जब जब जाऊ, तुम मुझको जीता देना,
जग के तानो से फिर, तुम मुझको बचा लेना,
छोड़ना चाहूं जग को, पर छोड़ तुझे ना पाऊं,
में जी ही रहा हुं बस, के तेरे संग में जी पाऊं,
तुम सांसे हो मेरी, मेरे संग चलती रहना,
जो छूटा साथ तेरा, तो होगा मुश्किल जीना,
अब कैसे ये जताऊं, तुम्हे कितना में चाहूं,
प्यार मेरा जताने को, शायद मे मर जाऊं,
प्यार मेरा जताने को, शायद मे मर जाऊं ।

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29 JUN 2020 AT 20:05

जी चहता है एक ग़ज़ल लिखूँ
अपना आज और कल लिखूँ

अधूरे-अधूरे से हैं कुछ ख़्वाब
तू मिल जाए तो मुकम्मल लिखूँ

रहे साथ जैसे दिया ओ बाती का
मैं बारिश की बूँद तुझे बादल लिखूँ

तुझे सोचूँ फ़क़त तुझे सोचती रहूँ
हर तहरीर में तुझे हर पल लिखूँ

मदहोश है मेरी निगाहों का नूर
इन निगाहों का तुझे काजल लिखूँ

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25 NOV 2019 AT 18:57

वक़्त बदलते देर नहीं लगती,
भोर की किरण भी धूप में बदल जाती है।

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25 JUN 2020 AT 21:31

क्या शिकवा करूँ उस 🛂हम्नसी के साथ का।
साथ हमने भी परछाईं के जेसा माँगा था।।
दोशि नही है मेरा 🛂हम्नसी जरा सा भी।
जरा सी 🌞रोशनी क्या हुई 🗿परछाईं ने ही साथ छोड़ दिया।।।

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