Jayesh Parekh   (Jayesh Parekh ✍️✨)
2.4k Followers · 4 Following

read more
Joined 24 September 2019


read more
Joined 24 September 2019
1 APR AT 9:06

कई आते हैं गाँव से सहर हालत बदलने अपने,
ये भी 1999 में ऐसे ही रायपुर आए थे,
पत्थर उठाने से शुरुवात की जिसने,
जो पैदल चलते थे १०-१० किलोमिटर,
आज हमे कार में वो घुमाते हैं,
४५० का रूम रेंट, ५० का बिजली बिल दे कर,
३०० में गुजारा करने वाले मेरे पापा,
अब हमे पाँच सितारा होटल में रुकवाते है,
ख़ुद भूखे रहे महीने में कई कई बार जो,
वो आज बड़े बड़े रेस्टोरेंट में ले जाते है,
जो साइकिल के लिए तरसते थे कभी ख़ुद,
वो आज कार में मुझे ट्यूशन भिजवाते है,
कभी ख़ुद समोसा बना कर बेचने वाले,
आज ग़रीबों में लोखों लुटाते है,
४०-५० वाले कपड़े जो पहनते थे कभी,
वो हमे मॉल से शॉपिंग कराते है,
जिनका धर्म, कर्म सब परिवार ही है,
जानते हो ना आप सब वो मेरे पापा कहलाते है,
मेरे पापा ने हारा है खुदको, हम सब की ख़ातिर,
देखो वो जीता हुआ इंसान बैठा है सामने सबके,
आज हम सब उनके सामने अपना सिस नमाते है ।

Thank You Papa🙏🏻

-


30 MAR AT 9:09

रुका हूं थोड़ा अब खुदके लिए,
भागता रहा उम्र भर सबके लिए,
सिख रहा अब जीना खुदके लिए भी,
रुकने किसीने कहा ही नहीं भागते समय।

-


4 FEB AT 1:56

ऐ मेरे खुदा तुझ पे मेरा एतबार रहे,
रहूं जब तलक ज़माने में, तुझसे ही प्यार रहे,
कोई तेरे रहते ज़माने में फिर लाचार ना हो,
तू भी कभी अपने मुरीद से बेज़ार ना हो ।

-


28 JAN AT 10:06

गिरादूँ में ख़ुद को अपनी ही नज़रों मे,
ना तुम ये चाहोगे, ना मैं ये कर पाऊँगा,
ख़ुद को काबिल बनाने अब भी लड़ रहा ख़ुद से,
तुम ही कहो ख़ुद को खो कर क्या मैं जी पाऊँगा ?
हार जाने का डर हर पल मुझे जीता जाता है,
ख़ुद से हार कर फिर कहाँ जीत पाऊँगा,
ना फ़क्र से साथ बैठ पाऊँगा तुम्हारे फिर कभी,
अपनी नज़रों में गिर कर, नहीं जी पाऊँगा ।

-


24 JAN AT 22:52

तू क्यों ख़ुद ही ख़ुद को मिटाने में लगा है,
चाहत तेरी जो थी, अब वो तुझसे जुदा है,
क्यों बाँवरा बने घूम रहा तू नादान,
जो कभी तेरी थी ही नहीं, तू उसे मनाने में लगा है ।

-


18 JAN AT 15:58

भुलाकर जीना तुझे, कोई सज़ा से कम नहीं,
तुम ख़ुश अपनी दुनिया मे, बस ये देख जी रहे हैं,
साँसे तो चल रही है, अब भी हमारी,
पर भुलाकर तुझे, ये ज़िंदगी मौत से कम नहीं ।

-


16 JAN AT 22:04

कैसे अदा करूँ शुक्रिया तुम्हारा,
जो तुम हमे जीना सिखा गये,
फ़रेबी, मतलबी, ख़ुदगर्ज हुवे तुम तो क्या,
धोके बाज़ो से दूर रहना सीखा गये,
मतलबी तुम थे ये तुम भी जानते हो,
और मतलबियों के बीच हमे जीना सिखा गये।

-


16 JAN AT 15:37

अपनी चाहत को मन में रखना,
कहना हो बोहोत कुछ, फिर भी चुप ही रहना,
मुस्कुराते हुवे अपने अंदर के दर्द को छुपाना,
औरों की ख़ातिर ख़ुद को ही भुलाना,
बहते हुवे आंसुओं को रोकना,
आँखोंमें ही चुपचाप उन्हें सोखना,
हाँ देखा है ये सब मैंने ।

-


7 JAN AT 13:29

जानते हैं वो भी, जानते हम भी हैं,
कोई मंज़िल नहीं मोहब्बत की हमारी,
अभी ज़िंदगी हे, तो मोहब्बत भी है,
चाहे मोहब्बत हमारी हो बेमानी,
जियेंगे तब तक रहेगी, फिर दुनिया कहेगी,
हम दोनों की ये अधूरी कहानी ।

-


2 JAN AT 20:49

प्रतीक तुम ना हारना कभी,
ना डरना कभी ज़माने से, ये डरायेंगे तुम्हें,
सतायेंगे, हराने के लिए सौ तिकड़म लगायेंगे,
पर अपने आप से लड़ना, ज़िंदगी से रूबरू होना,
प्रतीक तुम कमज़ोरों के लिए प्रतीक बन जाओगे,
जीतोगे एक दिन और सबको हराओगे,
यक़ीन ही मुझे, एक दिन तुम मिसाल बनोगे,
हिमालय से तटस्थ और विशाल बनोगे ।

-


Fetching Jayesh Parekh Quotes