Jayesh Parekh   (Jayesh Parekh ✍️✨)
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Joined 24 September 2019


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Joined 24 September 2019
12 SEP AT 6:51

परछाई भी साथ छोड़ गई थी, जब वक्त ने करवट बदली थी,
वक्त फिर बदला हे और लोगों ने महफ़िल सजाली मेरी खातिर ।

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1 SEP AT 20:53


"ज़िंदगी मे हार गया सब कुछ, बहुत कुछ जीतने के बाद,
कुछ इस तरह टूट कर बिखरा हूँ आज फिर इतना जुड़ने के बाद।"

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28 AUG AT 9:06

जूनून चाहिए ज़िन्दगी को अपनी तरह जीने के लिए,
परिस्थितिया कभी किसी का साथ नहीं देती ।

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17 AUG AT 0:40

जिस दौर से इन दिनों गुज़र रहा हूं मै,
हर शक्स को जरूरत हे मेरी, अपनी जरूरत तक ।

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13 AUG AT 9:24

खुशी मिली हे इन आँखो को दीदार से उनके,
वरना तो ये ज़िन्दगी बेज़ार पड़ी थी कब से।

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30 JUL AT 9:59

जस्न मनाते थे, जिनके साथ कभी,
अब उनकी यादों के सहारे जी लेते हैं,
मोहब्बत लुटाया करते थे जिन पे हम,
अब उनकी नफ़रत से किनारा कर लेते हैं ।

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4 JUL AT 22:40

आँसू क़ैद थे हज़ारों मेरी आँखो मे,
तेरी याद आई और उन्हें रिहाई मिल गई ।

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28 JUN AT 0:18

ग़ैरों ने उठाया हे आज़ मुझे कंधों पे अपने,
मेरे अपने मुझे जलाने की तैयारी जो कर रहे ।

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20 JUN AT 8:04

दर्द भी गहरा वही देतें हे, जिनसे रिश्ते गहरे होते हे,
अपने बनकर रहते वो, जिनके चेहरे पे कई चेहरे होते हे ।

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10 JUN AT 23:42

अधूरा पा लूँ तुझे इस से बेहतर है,
तुझे मुक्कम्मल छोड़ दिया जाये ।

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