Jayesh Parekh   (Jayesh Parekh ✍️✨)
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Joined 24 September 2019


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Joined 24 September 2019
28 JUN AT 0:18

ग़ैरों ने उठाया हे आज़ मुझे कंधों पे अपने,
मेरे अपने मुझे जलाने की तैयारी जो कर रहे ।

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20 JUN AT 8:04

दर्द भी गहरा वही देतें हे, जिनसे रिश्ते गहरे होते हे,
अपने बनकर रहते वो, जिनके चेहरे पे कई चेहरे होते हे ।

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10 JUN AT 23:42

अधूरा पा लूँ तुझे इस से बेहतर है,
तुझे मुक्कम्मल छोड़ दिया जाये ।

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30 MAY AT 8:53

ना रास्तों ने साथ दिया कभी,
ना कभी मंजिलों ने इंतज़ार किया,
कहने को कुछ नहीं हमारे पास,
हम से तो किशमत ने भी खिलवाड़ किया।

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16 MAY AT 20:26

के यूँ ही कट गई ये ज़िन्दगी,
ना ज़मीन का रहा ना आसमाँ का रहा,
ना मंजिले मिली कभी, ना किसी मुकाम का रहा,
ज़िन्दगी गुजार दी कुछ इस तरह अपनी,
ना किसी का रहा, ना किसी के काम का रहा ।

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5 MAY AT 8:35

वे सारे मिल कर रहे थे, मेरे क़त्ल की तैयारी,
और मेरे सामने बोलते हैं, उम्र लंबी ही तुम्हारी ।

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2 MAY AT 19:35

के हँसते हो अब हमारे ग़मों पे भी तुम
कभी हमारी उदासी पे तुम आँशु बहाया करते थे।

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28 APR AT 18:57

के तेरे लिए सच कहूँ कभी कुछ बुरा नहीं चाहा,
ये और बात है ये हमे जताना नहीं आया

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28 APR AT 15:22

भरी जवानी में हमने अपनी हसरतें कुचली हे,
तुम ज़िम्मेदारी क्या है, ये मत समझाओ हमे ।

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26 APR AT 18:14

उलझा ही रहूँ तुझ मे कुछ यूं ही,
सुलझने से धागे अलग हो जाते हे ।

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