सच ही इंसान की बुनियाद है ।
मगर आज कलयुग के दौर में इंसान सच
पे कम और झूठ पे ज्यादा भरोसा करने लगा है ।
मगर किसी ने सच ही कहा है झूठ के पाँव नही होते
और सच के अपने रस्ते है बाहर आने के।
सच सच ही रहता है और झूठ झूठ
ऐ इंसान! सच का दामन कभी मत छोड़ना
झूठ एक पल के लिए खुशी तो दे जाएगा ।
साथ ज़िन्दगी भर का रोना भी....
मगर वही सच का सागर ज़िन्दगी को
खुशनुमा बना जाएगा ।
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कुछ जानी-पहचानी खुश्बू है हवाओं में,
एक अलग सी रंगत है फिजाओं में,
खुशनुमा सा एहसास है दिल मे,
शायद निकली है वो आज पुरानी अदाओं में..
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Gumgeen Kyu Hai Tu Sami Kal Toh Tu Bohot Khush Rehni Ki Baat Karta Tha
Insaan Kitna Bhi Sangh Dili Ho Tu Toh Hamesha Insaaniyat Ki Baat Karta Tha
Mohabbat Ko Aaj Laant Taan Kar Raha Hai Kal Toh Tu Isse Muqaddas Kehta Tha
Kismat Ko Apni Bewafa Bedard Keh Raha Hai Kal Toh Tu Isse Khushnuma Kehta Tha
Apni Hasti Par Tujhe Itna Kyu Aitbaar Aa Raha Hai Kal Toh Tu Isse Mehaz Ek Haddi Ki Khaal Kehta Tha
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Zindagi Khushnuma Ho Tum Kuch Aisa Kar Lo
Bewaajah Zehan Mein Baatein Banana Chod Do
Hoti Hai Kam Zarf Soch Aur Ajeeb Halaat Logo Ki
Beshumaar Cheezon Ko Tum Aazmana Chod Do-
हां मैं हूं तिजारती गम का
तू तो खुशनुमा दुनिया है ना!!!
गफलत में सो रहे है सभी मुझे धोखा देने वाले
तू कहीं उनमें तो नहीं है ना!!!
मैं बना रहा हूं जशन अपनी नाकामियों का अभी
तुझे खबर नहीं
तू कहीं कब्र में तो नहीं है ना!!!-
तुम ही तुम हो मुझमें, मै कहां हूं...
तुम्हारा रंग ओढ़ कर मै खुशनुमा हूं...-
Duaon mei aapka naam aata hai,
Har nayi subah aur khushnuma shaam aata hai,
Aapki chahat mei kurbaan kar du zindagi saari,
Mujhe humesha bas yahi kaam aata hai.
- Monish Khan-
जो ईश्क से दूर रहे उन्हें मोहब्बत का कायदा नहीं,
ईश्क हो न अगर तो जवानी का भी फ़ायदा नहीं।-
खुशनुमा हयात का बस इतना ही कायदा रहा
इश्क़ से जितनी दूरी रही उतना ही फायदा रहा-
किसी सुहानी शाम के जैसे, आये तुम ज़िन्दगी में मेरी
बेशक वो लम्हे चंद ही थे,लेकिन निहायत ही दिलकश-